
एक छोटा व्यवसाय शुरू करने की योजना की व्याख्या करें। नए व्यवसाय को प्रारंभ करने के तत्वों की व्याख्या करें।
दोस्तों यदि आप बिजनेस की दुनिया में कदम रखना चाहते हैं तो आपको ये प्लान करना पड़ेगा कि बिजनेस की शुरुआत करने के लिए कितने पैसों की आवश्यकता होगी। साथ ही आपको लगातार अपना बिजनेस आगे ले जाने के लिए कितने रूपयों की आवश्यकता पड़ेगी? इसके आलावा आपको यह भी आंक लेना चहिए कि आपका कारोबार कितने समय में प्रॉफिट देना शुरू करेगा?
अपने पैसों को इस तरह विभाजित करके आप छोटे व्यवसाय के लिए वित्तीय प्लानिंग (Financial planning for small businesses) कर सकते हैं।
बहुत से छोटे बिजनेसमैन या बिज़नसवुमेन अपने पर्सनल फाइनेंस से संबन्धित मामलों पर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसा करना ही कुछ समय में बहुत ज्यादा रिस्की हो जाता है। इन छोटे बिजनेसमैन का पूरा फोकस बिजनेस से सम्बन्धित फाइनेंशल मामलों में होता है। ये सोचते हैं कि बिजनेस अच्छा चलने से उनकी निजी जिम्मेदारियां खुद से पूरी हो जाएंगी। तो ऐसे में ये लोग बिजनेस के रिस्क से सम्बन्धित चीजों को भी अनदेखा कर देते हैं।
तो दोस्तों अगर आप एक छोटे बिजनेसमैन या बिज़नसवुमेन हैं और आपने अपने बिजनेस और पर्सनल फाइनेंस को अलग-अलग नहीं रखा तो ऐसा तय है कि आपके बिजनेस में परेशानी आने पर आपके पर्सनल फाइनेंस पर प्रभाव पड़ेगा। इससे बचने के लिए आपको अपना बिजनेस गोल पहले से ही तय करना चाहिए, जो कि आपके पर्सनल गोल्स के लिए भी सहायक हो।
यदि आप भी जानना चाहते हैं कि छोटे व्यवसाय के लिए वित्तीय प्लानिंग कैसे करें (Financial planning for small businesses) तो इस आर्टिकल को आखिर तक देखें।
बिज़नेस की ग्रोथ के लिए फंडिंग ऑप्शन
छोटे व्यवसाय के लिए वित्तीय प्लानिंग (Financial planning for small businesses) करते समय अपने बिजनेस की फाइनेंशल जरूरतों को पूरा करने के लिए फंडिंग ऑप्शन की भी समीक्षा करें।
वर्तमान समय में स्टार्टअप फंडिंग के बहुत से नए-नए रिसोर्सेज मौजूद हैं जैसे कि क्राउड-फंडिंग, वेंचर कैपिटल फण्ड, एंजेल इन्वेस्टर्स इत्यादि।
फाइनेंशल रिसोर्सेज का चयन करने के बाद लोन या फिर फंडिंग के लिए अप्लाई कर दें। इसके बाद फंडिंग के पूरे प्रोसेस को ध्यान से समझें। फिर फंडिंग से जुड़े सारे बिज़नेस प्लान और डाक्यूमेंट्स का समय रहते इंतजाम कर लें। जिससे आप अपने बिज़नेस को फाइनेंशल प्रॉब्लम्स के बिना ग्रो कर सकें।
हर प्रकार के रिस्क के लिए सही इंश्योरेंस पॉलिसी लें
तो इस तरह के हर जोखिम को आप इंश्योरेंस कंपनी पर ट्रांसफर कर सकते हैं। छोटे व्यवसाय के लिए वित्तीय प्लानिंग (Financial planning for small businesses) करते हुए आप इंश्योरेंस पॉलिसी का ध्यान जरूर रखें। आपको बता दें कि जिस जगह ऋणदाताओं का रिस्क हो वहां लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी “married woman property act” के अंतर्गत खरीदनी चाहिए। ऐसा करने से इंश्योरेंस क्लेम की अमाउंट पर जीवन-साथी और बच्चों के सिवा कोई दूसरा क्लेम नहीं कर सकता।
आपको अपने लाइफ में हेल्थ और एक्सीडेंट जैसे पर्सनल रिस्क के साथ साथ बिजनेस में आग, चोरी, कर्मचारियों द्वारा किए गए फ्रॉड इत्यादि रिस्क का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा आपको कुछ हो जाए हो तो ऋणदाताओं के रिस्क को भी देखना पड़ता है।
अपने फैमिली के लिए सही इंश्योरेंस पॉलिसी का चुनाव करें। इससे इमरजेंसी की सिचुएशन में बिजनेस पर फाइनेंशल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अपने बिजनेस के लिए इमरजेंसी फंड अलग रखें
यदि आप छोटे व्यवसाय के लिए वित्तीय प्लानिंग कर रहे हैं (Financial planning for small businesses) तो आपको बता दें कि बिजनेस में आपको हर महीने सैलरी नहीं दी जाती। इसके साथ साथ शुरूआत के कुछ महीनों में आपके खर्चे भी आपकी इनकम से ज्यादा ही होते हैं। वहीं, कुछ बिजनेस तो लोन पर भी संचालित किए जाते हैं।
अगर आपका कैश फ्लो (Cash Flow) पर कंट्रोल नहीं है और आपने इसे अलग नहीं रखा तो बिजनेस से संबंधित खर्चों के लिए आपको अपनी सेविंग्स से पैसे खर्च करने पड़ेंगे। ऐसी आदत ठीक नहीं हैं और इसे पूरा करने के लिए लगभग छह महीने का इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए।
अपने कर्मचारियों के तरह काम करें
बिजनेस में अनुशासन बरकरार रखने के लिए खुद को सैलरी देना एक बहुत अच्छा विकल्प है। ऐसा करने से आपको ज्यादा काम करने की प्रेरणा मिलेगी।
संभावना होगी कि अगले वर्ष सैलरी बढा दी जाए और हो सकता है कि बिजनेस अच्छा चला तो खुद को बोनस भी दे पाएं।
बिजनेस से जुड़ी हर प्रकार की एक्टिविटीज की प्लानिंग पहले से ही कर लें। ऐसा करने से आपको निजी फाइनेंस की प्लानिंग में सहायता मिलेगी।
महीने की इनकम और अपने खर्चे पता होने की वजह से आप अपनी सेविंग्स का पर्सनल फाइनेंस के लिए सही से इस्तेमाल कर सकेंगे।

Chartered Accountant और Finance Planner में फर्क समझें
हर इंसान के पास अपने एक क्षेत्र की विशेषज्ञता होती है। एक ही इंसान हर क्षेत्र में माहिर नहीं हो सकता। जहां आपके खातों को मैनेज करने के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट (chartered accountant) की जरूरत होती है। चार्टर्ड एकाउंटेंट ही आपके, corporate act, audit इत्यादि में मदद कर सकता है।
वहीं, दूसरी तरफ एक फाइनेंस प्लानर (finance planner) Risk management, Investment planning इत्यादि में आपकी मदद करता है। चार्टर्ड एकाउंटेंट (Chartered Accountant) और फाइनेंशियल प्लानर (Finance Planner) दोनों ही विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं। इसलिए आपको यह मालूम होना चाहिए कि कौन सी एडवाइस किस से लेनी है। यदि आप सही एडवाइस लेना चाहते हैं तो सही एक्सपर्ट से ही सवाल लें।
निस्कर्ष
तो अब आप जान गए होंगे कि छोटे व्यवसाय के लिए वित्तीय प्लानिंग कैसे करें (Financial planning for small businesses) । यदि आप भी बिजनेस की शुरूआत करना चाहते हैं तो आपको ये सारी बातें प्लान करनी पड़ेंगी। इसके साथ ही आपको अपना बिजनेस ग्रो करने के लिए और प्रॉफिट अर्न करने के लिए ऊपर बताए गए टिप्स को ध्यान में रखना होगा।