Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi । प्रेमानन्द जी महाराज जीवनी ।

Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi । प्रेमानन्द जी महाराज जीवनी ।
Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi । प्रेमानन्द जी महाराज जीवनी ।

Premanand Ji Maharaj Biography – प्रेमानंद जी महराज को आप ने कहीं ना कहीं जरूर सुना और देखा होगा। क्योंकि प्रेमानंद जी महाराज एक महशूर कथावाचक है। जिनके यूट्यूब पर दो चैनल है। जिन पर लाखों की संख्या में सब्सक्राइब है जिसके माध्यम से प्रेमानंद जी महाराज प्रवचन देते है और भक्तों का मार्गदर्शन करते है।

इसके अलावा बहुत बड़ी संख्या में लोग इनके प्रवचन को सुनने के लिए ऑफलाइन माध्यम से भी एकत्रित होते है और इनका मुख्य आश्रम मथुरा, वृंदावन में है। जहां लोग अपनी जीवन की समस्यों लेकर जाते है और बाबा जी उनका निवारण प्रदान करते है। इसके अलावा प्रेमानंद जी के शिष्यों द्वारा पीले बाबा भी कहा जाता है।

क्योंकि ये हमेशा पीले वस्त्रों को ही धारण करते है और बहुत से भक्त है जो इनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं कि प्रेमानंद जी महाराज कौन है?, इनका जन्म कब और कहा हुआ, किस प्रकार ये लोगो का मार्गदर्शन करते हैं। तो इसके लिए आर्टिकल में अंत तक हमारे साथ बने रहे। तो चलिए शुरू करते है –

मूल नाम (Full Name)अनुरूद्ध कुमार पांडेय
उप नाम (FamousName)महाराज प्रेमानंद जी, पीले बाबा
उम्र (Age)60 वर्ष
जन्म स्थान (Birth Place)अखरी गांव , सरसोल ब्लॉक, कानपूर उत्तर प्रदेश
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय
धर्म (Religion)हिन्दू
जाति (Caste)व्राह्मण
पेशा (Profession)कथावाचक, आध्यात्मिक गुरु
लम्बाई (Hight)5 फिट 10 इंच
वजन (Weight)68 kg
पिता (Mother Name)श्री शम्भू कुमार पांडेय
माता (Mother Name)रमा देवी
गुरु ( Preceptor Name)बाबूलाल जैन
यूट्यूब चेंनल (Youtube Chennal)Bhajan Marg

प्रेमानंद जी महाराज का प्रारंभिक जीवन (Premanand Ji Maharaj Early Life)

प्रेमानंद जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक छोटे गांव में सात्विक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम रामा देवी था। इनके दादा जी भी सन्यासी है। जिसके चलते इनके परिवार का मौहल बहुत ही भक्तिमय और सत्संगमय रहा हैं और महाराज जी को भी बचपन से राधा रानी के भक्ति में रुचि में थी।

और वे विद्यालय जाने से पहले नित्य 10 से 15 चालीसा का पाठ मंदिर जाकर करते थे। जिसके पश्चात तिलक लगाकर स्कूल जाते थे और बचपन से ही पिलों वस्त्रों को धारण करते थे। जिसके चलते इन्हें बाद में (पीले बाबा) के नाम से जाने जाना लगा। एक दिन सत्संग में मिले ज्ञान के बाद उनके मन में सवाल आया कि जब उनके परिवार के सब मर जायेंगे। तो उनका इस दुनिया में कौन बचेगा। जिससे बाद उनका मानना था कि सिर्फ ईश्वर के अलावा उनका इस दुनिया में कोई नहीं है।

जिसके बाद उन्होंने अपने दादा जी और पिता जी की तरह संत बनने का निश्चय किया । जिसके बाद जब वे 9वीं कक्षा में थे और उनकी उम्र मात्र 13 वर्ष थी। तब उन्होंने अपने परिवार को बिना अवगत कराए रात्रि के 3 बजे के समय ईश्वर प्राप्ति की व्याकुलता में घर का छोड़ दिया। जिसके बाद महाराज जी को नैष्ठिक ब्रमचार्य में दीक्षित किया गया और उन्होंने सन्यास स्वीकार किया। जिसके बाद उनका नाम बदलकर आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी रखा गया।

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महाराज प्रेमानंद जी की प्रसिद्धि (Premanand Ji Maharaj Popularity)

कहा जाता है कि प्रेमानंद जी महाराज पर राधा रानी की असीम कृपा है क्योंकि महाराज पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज से पीड़ित है। जिसमें किडनी खराब हो जाती है और इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति आमतौर पर एक वर्ष से अधिक जीवित नहीं रह पाता है। लेकिन महाराज जी इस बिमारी के बाबजूद भी कई वर्षों अपना जीवन जी रहे है

और समाज को धर्म का मार्ग दिखाने का अथक प्रयत्न कर रहे है। उनके बहुत से भक्तों ने उन्हें किडने देने की बात भी कही लेकिन बाबा जी कहते है कि ईश्वर की इच्छा बिल्कुल स्वास्थ्य हूं और ईश्वर की इच्छा से शरीर जैसा भी जितने दिन चल रहे है उसे चलने दो। इसके अलावा पीले बाबा जी के प्रसिद्धि का अंदाजा आप यही से लगा सकते है कि विराट कोहली जैसे बड़े – बड़े स्टार अपनी समस्याें को लेकर इनके वृंदावन स्थित आश्रम में जाते है और बाबा जी द्वारा उन्हें समाधान भी दिया जाता है।

प्रेमानंद महाराज जी दिनचर्या (Premanand Ji Maharaj Daily Routine)

महाराज प्रेमानंद जी वृंदावन में रहते है और उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष है और दोनों किडनी भी खराब है जिसके बाबजूद भी वे मात्र कुछ ही घंटों की नींद लेते है और प्रातः 2 बजे जाग जाते है जिसके पश्चात् सर्वप्रथम वृंदावन की परिक्रमा करते है और 4:20 से लेकर 5:20 तक लगभग एक घंटे भक्तजनों के साथ सत्संग करते है। जिससे बाद 5:30 बजे से 6:30 के बीच राधा नाम संकीर्तन भक्त नामावली है और फिर 9:30 पर श्रंगार आरती का आयोजन महाराज जी द्वारा किया जाता है। जिसके बाद प्रेमानंद जी दैनिक वाणी पाठ, संध्या आरती और सत्संग करते है। कुछ प्रकार वे पूर्णतया ईश्वर समर्पित जीवन यापन कर रहे है।

महाराज प्रेमानंद जी पर बांके बिहारी जी की कृपा

हम सभी महाराज जी को बांके बिहारी जी से अंत्यंत प्रेम है लेकिन जब वे पहली बार बनारस से वृंदावन के लिए जा रहे थे तो उन्हें बिल्कुल भी नहीं पता था कि वृंदावन में उन्हें कहां जाना है, कहां रुकना है उन्होंने केवल एक सत्संग के दौरान संत के मुख्य से सुना था कि वृंदावन में रमण रेती नामक स्थान है जब वे वृंदावन पहुंचे तो उन्होंने कहा कि उन्हें रमण रेती नामक स्थान पर जाना है किसी भक्त ने उचित साधन की व्यवस्था करके रमण रेती पहुंचवाया।

जब महाराज जी रमण रेती पहुंचे तो वह दिन एकादशी का था तब उन्होंने वहां देखा कि रमण रेती में बहुत से लोग परिक्रमा कर रहे है। वहां की रीति को समझकर महाराज जी परिक्रमा पूर्ण की। जिसके बाद उनकी भेंट संत श्री श्याम सखा जी से हुई। महाराज जी ने उनसे कहा मैं बनारस से यहां बिहारी दर्शन के लिए आया हूं और निवेदन किया अगर 3 – 4 दिन रहने की व्यवस्था हो जाती तो बहुत कृपा होगी।

फिर संत श्री श्याम सखा जी उन्हें अपने साथ संत श्री जगदानंद जी के आश्रम ले गए। जहां महाराज अपनी यात्रा पूरी की और वृंदावन बास एवम् ब्रजमंडल दर्शन का खूब आनंद लिया। लेकिन महाराज जी एकांतवासी है और उन्होंने महसूस किया। कि आश्रम के भक्तों के आवागम और क्रियाकलापों से उनका एकांत प्रभावित हो रहा है।

जिसके बाद वे वापस बनारस चले गए। लेकिन वहां एक अजीब सी बेचैनी महसूस हुई और उन्होंने पुराने नियमानुसार क्रियाए की। फिर भी बेचैनी दूर नहीं हुई। जिसके बाद उन्होंने महसूस किया कि ये बेचैनी उन्हें वृंदावन छूट जाने के कारण हो रही है। जिसके बाद वे वापस वृंदावन रमण रेती आ गए और तब लेकर अब तक! वो यहीं पर है।

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प्रेमानंद जी महाराज आश्रम पता (Adress)

अगर आप महाराज प्रेमानंद जी (पीले बाबा) से मिलना चाहते है तो आप उनके आश्रम पर जाकर मिल सकते है जिसका पता नीचे दिया गया है।

एड्रेस – श्री हित राधा केली कुंज, वृंदावन परिक्रम मार्ग, वराह घाट, भक्ति वेदांत धर्मशाला के समाने, वृंदावन – 281121 (उत्तर प्रदेश)

Email Add – info@vrindavanrasmahima.com

FAQs –

महाराज प्रेमानंद जी लोगों कौन – सा उपदेश देते है?

प्रेमानंद जी महाराज लोगों को भक्ति के मार्ग पर चलने का उपदेश देते है। उनका मानना है कि हर व्यक्ति को ईश्वर में विश्वास रखना चाहिए।

महाराज प्रेमानंद जी का सन्यासी जीवन कैसा बिता?

महाराज जी का सन्यासी जीवन बहुत ही कठिन बिता और उन्होंने बनारस गंगा घाट पर बिना किसी भी सुख का भोग किए सालों तक ईश्वर की तपस्या की।

महाराज प्रेमानंद जी के गुरु कौन है?

महाराज प्रेमानंद जी के गुरु श्री गौरंगी शरण महराज जी है।

Dushyant Kumar

मैं उत्तर प्रदेश के बरेली डिस्ट्रिक्ट का रहने वाला हूं और पिछले 4 वर्ष में विभिन्न Blogs पर कंटेंट राइटर के रूप में कार्य कर चुका हूं और उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा लेखों के माध्यम से दी जाने वाली इंफॉर्मेशन आपके लिए Useful साबित होती होगी।

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