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Lunar Polar Exploration Mission: जापानी स्पेस एजेंसी के सहयोग से अगला चांद मिशन पूरा करेगा इसरो
Lunar Polar Exploration Mission (Lupex) : चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारत ने 23 अगस्त 2023 को एक अनोखा रिकॉर्ड कायम किया है। वह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है। सिर्फ लैंडिंग ही नहीं बल्कि भारत का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की मिट्टी पर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। वहीं, चंद्रयान-3 की सक्सेस के बाद अब भारत चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है। हालांकि, इस बार भारत अकेला चांद पर नहीं जाएगा। क्योंकि भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो यह मिशन जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिलकर चलाएगा। तो चलिए जानते हैं इस Lunar Polar Exploration Mission (Lupex) के बारे में सब कुछ।
क्या है Lupex मिशन?
LUPEX मिशन का पूरा नाम लुनार पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (Lunar Polar Exploration Mission) है। आपको बता दें कि LUPEX एक मानव रहित मिशन होगा। इस मिशन का उद्देश्य चांद के दक्षिणी ध्रुव का गहराई से अध्ययन करना और यहां जताई जा रही पानी की संभावना की कन्फर्मेशन करना है।
इस मिशन के लिए लॉन्च व्हीकल और रोवर तैयार करने का दायित्व जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी का है। वहीं, लैंडर भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो द्वारा तैयार किया जा रहा है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के अनुसार इस मिशन को साल 2025 में लॉन्च किया जाएगा, जो 3 से 6 महीने तक का होगा।
Lupex मिशन का मकसद क्या है?
आपको बता दें कि इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य चांद पर पानी की खोज और उसका अध्ययन करना होगा। इसके लिए लूपेक्स मिशन व्हीकल ट्रांसपोर्टेशन और लूनर नाइट सर्वाइवल से जुड़ी नई सर्फेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन करेगा। इसके साथ ही इस मिशन का उद्देश्य चांद के ध्रुवीय क्षेत्र (Polar Region) में एक्सप्लोरेशन करना भी होगा।
बता दें कि स्पेस एजेंसी इसरो ने साल 2021 से लेकर साल 2023 तक विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए 4 देशों के साथ 6 एग्रीमेंट पर साइन किए हैं। इन विदेशी सैटेलाइट को व्यावसायिक आधार पर लॉन्च करने पर भारत को करीब 132 मिलियन यूरो की कमाई होने की आशा है।
ISRO का अगला मून मिशन? (Chandrayaan 4)
ऐसा बताया जा रहा है कि जाक्सा और इसरो के अगले मून मिशन का नाम ‘लूनर पोलर एक्सप्लोरेश मिशन’ (लुपेक्स LUPEX) है। इसके अंतर्गत रोवर तैयार करने का दायित्व जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी का है। वहीं, लैंडर भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो द्वारा तैयार किया जा रहा है।
कब लॉन्च होगा Lupex Mission?
इसरो द्वारा शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, लुपेक्स मिशन को साल 2025 में भेजने की योजना बनाई जा रही है। बता दें कि यह मिशन चंद्रमा के साउथ पोलर रीजन में लैंड करेगा।
साल 2021 में इस प्लान का हुआ था खुलासा
आपको बता दें कि साल 2021 में 17 और 19 नवंबर को सिडनी डायलॉग में जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के अध्यक्ष ने इस प्लान का खुलासा किया था। हिरोशी यमाकावा (Hiroshi Yamakawa) ने चांद के नजदीक एक मानव-चालक अंतरिक्ष स्टेशन होने की उम्मीद जताई थी, जो ध्रुवीय क्षेत्र और चांद की सतह पर निरंतर एक्सप्लोरेशन को सक्षम करेगा।
गौरतलब है कि लूपेक्स भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो और जापानी स्पेस एजेंसी का एक ज्वॉइंट रोबोटिक चंद्र मिशन है। इस मिशन के जरिए साल 2025 तक चांद के साउथ पोल पर लैंडर और रोवर भेजने की प्लानिंग की गई है।
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NASA और ESA के इंस्ट्रूमेंट्स भी ले जाएगा लूपेक्स मिशन
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जापान और भारत मिलकर जिस मून मिशन को लॉन्च करने जा रहे हैं, उसमें सिर्फ जाक्सा और इसरो के ही इंस्ट्रूमेंट्स शामिल नहीं होंगे। बता दें कि यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए (ESA) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के इंस्ट्रूमेंट्स भी इस मिशन में शामिल किए जाएंगे।
जापान की नेशनल स्पेस पॉलिसी पर कैबिनेट कमेटी के उपाध्यक्ष साकू त्सुनेता (Saku Tsuneta) इस साल अगस्त में बंगलूरू स्थित इसरो के मुख्यालय आए थे। इस दौरान उन्होंने इसरो के प्रमुख एस. सोमनाथ के साथ बातचीत की और लुपेक्स मिशन (Lupex Mission) की प्रोग्रेस पर भी चर्चा की।
जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इस मिशन का उद्देश्य चांद पर स्थायी गतिविधियों के लिए बेस बनाने से संबंधित काम पूरे करना है। इसके साथ ही ऐसे क्षेत्रों की खोज करना है, जहां आने वाले समय में मिशनों को लैंड किया जा सके। सिर्फ इतना ही नहीं, चांद पर पानी की मौजूदगी से संबंधित सबूत की खोज भी मिशन का हिस्सा होगा।