
Nisar Mission in Hindi: चंद्रयान-3 के सक्सेस के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी कि इसरो दूसरे कई मिशन पर तेजी से काम कर रहा है। एक मिशन के सक्सेसफुल होने पर किसी भी अंतरिक्ष एजेंसी की ताकत पूरी दुनिया देखती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन मिशन के अंतरिक्ष में भेजने के बहुत सारे कारण होते हैं। साथ ही इन मिशन का मकसद कुछ नई जानकारी प्राप्त करना भी होता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है निसार मिशन (Nisar Mission)
क्या है निसार मिशन (Nisar Mission)?
यह इसरो और नासा का ज्वाइंट मिशन (Isro and Nasa Joint Mission) है, जिस पर अभी काम चल रहा है। आपको बता दें कि साल 2014 में निसार मिशन को हस्ताक्षरित पार्टनरशिप मेमोरंडम के अंतर्गत अमेरिका और भारत की अंतरिक्ष एजेंसि की तरफ से तैयार किया गया है। यह मिशन नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बीच एक संयुक्त पृथ्वी-अवलोकन है। ऐसा पहली बार है जब नासा और इसरो ने पृथ्वी-अवलोकन मिशन के लिए हार्डवेयर विकास पर सहमति जताई है।
निसार मिशन का उद्देश्य (Object of Nisar Mission)
निसार मिशन (Nisar Mission) 12 दिनों में पूरी दुनिया की मैपिंग यानी कि मानचित्रण करेगा और पृथ्वी के इकोसिम्स्टम, वनस्पति बायोमास, बर्फ द्रव्यमान, समुद्र के लेवल में वृद्धि, सुनामी और ज्वालामुखी, भूजल और भूकंप समेत प्राकृतिक खतरों में होने वाले बदलाव को समझने के लिए स्थानिक और अस्थायी तौर पर जानकरी देगा।
इसलिए खास है निसार मिशन
निसार सैटेलाइट के बारे में बताया गया है कि इसके अनगनित फायदे हैं।
- सबसे खास बात तो यह है कि नासा ने इसके लिए इसरो को चुना है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की धाक दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही इसरो द्वारा बनाए गए रॉकेट पर अब पूरी दुनिया को भरोसा हो गया है। जिसका सीधा असर निसार के रूप में दिखाई भी दे रहा है।
- निसार का पूरा नाम नासा-इसरो एपर्चर रडार यानी कि (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar satellite) है।
- बता दें कि इसका वजन 2600 kg है। इस मिशन की लागत लगभग 12,000 करोड़ रुपए है। इसे स्पेस में स्थापित किया जाएगा।
- बता दें कि यह मिशन धरती पर 5 से 10 मीटर के दायरे में तस्वीरों को खींचने में सक्षम होगा। इसमें रडार इमेजिंग का इस्तेमाल हो रहा है। साल 2024 में इसे अंतरिक्ष में भेजे जाने की संभावना है।
- निसार मिशन सुनामी, भूकंप, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसे नेचुरल डिजास्टर्स की जानकारी और भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।
- इसके साथ ही यह सैटेलाइट धरती, समुद्र और बर्फ की एनालिसिस कर एजेंसी तक इसकी जानकारी पहुंचा देगा।
इस मिशन के संचालक और निर्माता कौन हैं?
आपको बता दें कि निसार मिशन का निर्माता इसरो है। वहीं , इसका संचालक नासा है। इस मिशन की अवधि 3 साल की है। निसार मिशन (Nisar Mission) को इंडियन स्पेश रिसर्च ऑर्गनाइजेशन की तरफ से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। बता दें कि सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) एक रिज़ॉल्यूशन-सीमित रडार सिस्टम से अच्छी रिजाॅल्यूशन वाली पिक्चर बनाने की तकनीकी है।

निसार मिशन में L- बैंड SAR क्या है?
आपको बता दें कि इस सैटेलाइट में दो रडार हैं। वे L-बैंड SAR और S-बैंड SAR हैं। S-बैंड SAR की मैन्युफैक्चरिंग भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ L-बैंड SAR की मैन्युफैक्चरिंग अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा की जाएगी।
निसार मिशन कब लॉन्च किया जाएगा? (Nisar Mission Launch)
निसार मिशन (Nisar Mission) को जनवरी 2024 में लाॅन्च करने की योजना बनाई जा रही है। लेकिन अब तक इसरो और नासा की तरफ से इस मिशन की लॉन्चिंग को लेकर ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं की गई है। आपको बता दें कि निसार मिशन की घोषणा साल 2014 में ही कर दी गई थी। हालांकि, संभावना है कि इसरो अभी अन्य मिशन पर काम कर रहा है। इस वजह से इसकी लाॅन्चिग में इतना वक्त लग रहा है।
निसार मिशन को कहां लॉन्च किया जाएगा?
आपको बता दें कि निसार मिशन को भारत में लॉन्च किया जाएगा। इसकी लाॅन्चिग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) से की जाएगी।
निसार मिशन के डायरेक्टर और टीम में कौन कौन हैंं?
निसार मिशन के लिए नासा के प्रोजेक्ट मैनेजर फिल बरेला (Phillip Barela) और इसरो के प्रोजेक्ट मैनेजर सीवी श्रीकांत (CV Srikant) हैं। इनके साथ ही इस मिशन के लिए पूरी टीम काम कर रही है। इसके फ्लाइट सिस्टम में दो फ्री केए-बैंड ट्रांसमिट सिस्टम हैं (एक नासा में बनाया गया और दूसरा इसरो में बनाया गया) जो साइंस और इंजीनियरिंग डेटा को डाउनलिंक करने की परमिशन देता है।
निसार मिशन का बजट कितना है?
किसी भी स्पेस मिशन को पूरा करने के लिए हजारो-लाखों करोड़ का खर्च आता है। वहीं, निसार मिशन की लागत तकरीबन 12,000 करोड़ रुपए है। ऐसा इसलिए है क्योंकि निसार में नासा के विज्ञान मिशन पर अभी तक लॉन्च की गई सबसे मॉर्डन रडार प्रणाली होगी। आपको बता दें कि निसार नासा और इसरो द्वारा बनाया गया सबसे महंगा सैटेलाइट है।
निसार मिशन के बारे में रोचक तथ्य
Nisar Mission के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैंः
- निसार मिशन नासा और इसरो का ज्वाइंट मिशन है।
- निसार नासा और इसरो द्वारा बनाया गया सबसे महंगा सैटेलाइट है।
- इस सैटेलाइट में दो रडार हैं। वे L-बैंड SAR और S-बैंड SAR हैं। S-बैंड SAR की मैन्युफैक्चरिंग भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ L-बैंड SAR की मैन्युफैक्चरिंग अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा की जाएगी।
- निसार मिशन लॉन्च (Nisar Mission Launch) होने के बाद लगभग 3 साल तक काम करेगा।
- यह मिशन निम्न पृथ्वी कक्षा या लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) वेधशाला है।
- यह मिशन 747 km की ऊंचाई और 98.4° के झुकाव के साथ सूर्य-समकालिक कक्षा (Sun-Synchronous Orbit) का अनुसरण करेगा। इसमें 100 मिनट का समय और 12 दिनों का दोहराव चक्र होगा।
- यह मिशन एक संशोधित इसरो I3K अंतरिक्ष यान बस को इंप्लीमेंट करता है।
- इस मिशन के जरिए भू-विज्ञान में तेजी से बढ़ रहे माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो एस-बैंड रडार का प्रयोग लगभग 5 सालों तक करेगा।
- नासा को अपने ग्लोबल साइंस ऑपरेशन के लिए न्यूनतम तीन सालों के लिए एल-बैंड रडार की जरूरत है।