XPoSat Mission In Hindi: जानिए भारत के पहले पोलारिमेट्री मिशन के बारे में सब कुछ!

XPoSat Mission In Hindi: जानिए भारत के पहले पोलारिमेट्री मिशन के बारे में सब कुछ!
XPoSat Mission In Hindi: जानिए भारत के पहले पोलारिमेट्री मिशन के बारे में सब कुछ!

XPoSat Mission In Hindi: स्पेस साइंस में भारत लगातार बुलंदियां छू रहा है। इस साल 23 अगस्त को चंद्रमा के साउथ पोल में चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद और फिर 2 सितंबर को ब्रह्मांड़ में स्थित हमारे तारा सूर्य को ऑब्जर्व करने के लिए अदित्य एल-1 मिशन के सफलता पूर्वक लॉन्च होने के बाद दुनिया भर में भारत की प्रशंसा लगातार की जा रही है।

यहां तक कि मिशन चंद्रयान और अदित्य एल-1 के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का अत्मविश्वास और बढ़ गया है। अब इस बीच इसरो स्पेस में पाए जाने वाली तमाम चीजों के स्टडी के लिए एक नया और विशेष मिशन करने की तैयारी कर रहा है। इसरो का यह नया मिशन एक्सपोसैट (XPoSat) है।

तो चलिए दोस्तों जानते हैं XPoSat Mission In Hindi के बारे में: 

XPoSat मिशन क्या है?

XPoSat का मतलब है एक्स रे पोलारिमीटर सैटेलाइट। यह देश का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है। XPoSat मिशन मुश्किल परिस्थित में भी चमकीले खगोलीय एक्सरे स्रोतों के विभिन्न आयामों का अध्ययन करेगा। आपको बता दें कि इसके लिए पृथ्वी के निचली कक्षा में स्पेस क्राफ्ट भेजा जाएगा। इस स्पेस क्राफ्ट में दो वैज्ञानिक अध्ययन उपकरण यानी कि पेलोड POLIX और XSPECT लगे होंगे।

आपको बता दें कि POLIX का काम खगोलीय मूल के 8-30 KV फोटॉन की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज में पोलारिमेट्री मापदंडों को मेजर करना है। वहीं, XSPECT पेलोड 0.8-15 केवी की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक के बारे में जानकारी देगा। इसरो का यह मिशन लॉन्च होने के लिए तैयार है। 

XPoSat का मतलब है एक्स रे पोलारिमीटर सैटेलाइट। यह देश का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है। XPoSat मिशन मुश्किल परिस्थित में भी चमकीले खगोलीय एक्सरे स्रोतों के विभिन्न आयामों का अध्ययन करेगा। आपको बता दें कि इसके लिए पृथ्वी के निचली कक्षा में स्पेस क्राफ्ट भेजा जाएगा। इस स्पेस क्राफ्ट में दो वैज्ञानिक अध्ययन उपकरण यानी कि पेलोड POLIX और XSPECT लगे होंगे।

आपको बता दें कि POLIX का काम खगोलीय मूल के 8-30 KV फोटॉन की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज में पोलारिमेट्री मापदंडों को मेजर करना है। वहीं, XSPECT पेलोड 0.8-15 केवी की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक के बारे में जानकारी देगा। इसरो का यह मिशन लॉन्च होने के लिए तैयार है। SpacecraftX-ray Polarimeter SatelliteBusModified IMS-2ManufacturerRaman Research InstituteLaunch mass480 kg (1,060 lb)Payload mass144 kg (317 lb)Dimensions65 × 65 × 60 cm (26 × 26 × 24 in)Power1260 wattsRocketPSLV

SpacecraftX-ray Polarimeter Satellite
BusModified IMS-2
ManufacturerRaman Research Institute
Launch Mass480 kg (1,060 lb)
Payload Mass144 kg (317 lb)
Dimensions65 × 65 × 60 cm (26 × 26 × 24 in)
Power1260 Watts
RocketPSLV

जानिए POLIX और XSPECT क्या हैं? 

POLIX पेलोड के बारे में: 

बता दें कि इस मिशन का प्राथमिक पेलोड जिसे POLIX या फिर एक्स-रे में पोलारिमीटर उपकरण के रूप में जाना जाता है, वह ध्रुवीकरण की डिग्री (Degree of Polarization) और कोण (Angle) को शामिल करते हुए, पोलारिमेट्री मापदंडों को मापने के लिए बनाया गया है।

यह खास तौर पर खगोलीय मूल के 8-30 केवी फोटॉनों की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज को टारगेट करेगा। POLIX के साथ ही XSPECT या फिर एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग पेलोड 0.8-15 keV की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी साझा करके एक अहम रोल निभाएगा। 

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का कहना है कि ब्लैक होल, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, न्यूट्रॉन तारे और पल्सर पवन निहारिका समेत अलग अलग खगोलीय स्रोतों में पाए गए उत्सर्जन तंत्र दर्गुम भौतिक प्रक्रियाओं से पैदा होते हैं जो हमारी समझ को उत्तेजित करते हैं।

जबकि अंतरिक्ष-आधारित ऑब्जर्वेटरी से इकट्ठे किए गए स्पेक्ट्रोस्कोपिक और टाइमिंग डेटा जरूरी सूझ प्रदान करते हैं। आपको बता दें कि इन एम्मिशंस की सटीक प्रकृति रहस्यमय बनी हुई है और यह इसरो के अधिकारियों द्वारा स्वीकार भी किया गया है। इसरो ने बताया है कि, “पोलरिमेट्री माप हमारी समझ में दो और आयाम जोड़ते हैं, ध्रुवीकरण की डिग्री और ध्रुवीकरण का कोण और इस प्रकार यह खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन प्रक्रियाओं को समझने के लिए एक उत्कृष्ट नैदानिक उपकरण है।”

XPoSat Mission In Hindi: जानिए भारत के पहले पोलारिमेट्री मिशन के बारे में सब कुछ!
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POLIX, एक्स-रे पोलारिमीटर, 8-30 केवी के ऊर्जा बैंड में संचालित होता है। इसमें 1 कोलिमेटर, 1 स्कैटरर और 4 एक्स-रे आनुपातिक काउंटर डिटेक्टर होते हैं। कोलिमेटर दृश्य के क्षेत्र को 3 डिग्री से 3 डिग्री तक निर्धारित कर देता है, यह स्पष्ट करते हुए कि ज्यादातर निरीक्षणों के दौरान एक समय में सिर्फ एक उज्ज्वल स्रोत देखा जाता है।

XSPECT पेलोड के बारे में: 

XSPECT या फिर एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग पेलोड, सॉफ्ट एक्स-रे में तेजी से समय मापने और प्रभावशाली स्पेक्ट्रोस्कोपिक रिज़ॉल्यूशन प्रदान करने का काम करता है। बता दें कि एक्स-रे ध्रुवीकरण माप के लिए POLIX की लंबी अवधि के अवलोकनों को अप्लाई करते हुए, XSPECT Spectral स्थिति परिवर्तन, लाइन फ्लक्स और प्रोफ़ाइल में परिवर्तन की विस्तारित निगरानी प्रदान करेगा। इसके साथ ही यह 0.8- की ऊर्जा सीमा के भीतर नरम एक्स-रे उत्सर्जन की लॉन्ग टर्म अस्थायी ट्रैकिंग भी प्रदान करेगा। 

15 केवी XSPECT के लक्ष्य स्रोतों में ब्लैक होल बायनेरिज़,  एक्स-रे पल्सर, कम द्रव्यमान वाले एक्स-रे बायनेरिज़ (एलएमएक्सबी) में कम चुंबकीय क्षेत्र न्यूट्रॉन सितारे (एनएस), सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक (एजीएन), और मैग्नेटर्स शुमार हैं।

साल 2017 में ही शुरू कर दिया गया था यह मिशन

इसरो ने XPoSat मिशन की तैयारी साल 2017 में ही शुरु कर दी थी। POLIX पेलोड सहित XPoSat की प्रारंभिक डिजाइन समीक्षा (PDR) सितंबर 2018 में पूरी हो चुकी है। इसके बाद POLIX योग्यता मॉडल की तैयारी और इसके कुछ उड़ान मॉडल घटकों के निर्माण की शुरुआत की गई। 

XPoSat को कब लॉन्च किया जाएगा?

सूत्रों के मुताबिक XPoSat को 25 दिसंबर 2023 को लॉन्च किया जा सकता है। हालांकि, भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो की तरफ से इसकी लॉन्चिंग को लेकर अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई। लेकिन, बताया गया है कि इसरो का यह मिशन लॉन्च होने के लिए बिलकुल तैयार है। 

XPoSat को कहां से लॉन्च किया जाएगा?

आपको बता दें कि मिशन XPoSat को बेंगलुरु स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) से लॉन्च किया जाएगा। 

पांच साल का होगा XPoSat मिशन

बता दें कि POLIX 8-30 Kev के ऊर्जा बैंड में खगोलीय अवलोकन के लिए एक एक्स-रे पोलारिमीटर है। यह उपकरण 1 कोलाइमर, 1 स्कैटरर और 4 एक्सर-रे आनुपातिक काउंटर डिटेक्टरों से बनाया गया है, जो स्कैटरर को घेरे हुए हैं। इसरो के अनुसार, XPoSat मिशन 5 साल का होगा। 

Priya

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