प्याज, लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? Lahsun Pyaj kyu nahi khana chahiye

प्याज, लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? Lahsun Pyaj kyu nahi khana chahiye
प्याज, लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? Lahsun Pyaj kyu nahi khana chahiye

प्याज, लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? lahsun pyaj kyu nahi khana chahiye। लहसुन प्याज खाना चाहिए या नहीं।

आज हम जानने वाले कि हमें प्याज, लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? लोग कहते हैं यह तो जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियां हैं फल फिर इसे क्यों नहीं खाना चाहिए। आज आप इसका सही और तार्किक जवाब जान लो। हमारे सनातन धर्म लोग कितने विचित्र हैं इसका अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं जब भी कोई त्यौहार आता हैं लोग प्याज और लहसुन के सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा देते हैं लेकिन जैसे त्यौहार ख़त्म होता हैं लोग फिर से प्याज और लहसुन खाना शुरू कर देते हैं।

लेकिन ऐसे लोगो से बोला जाये कि आप हमेशा के लिए प्याज और लहसुन का सेवन क्यों नहीं छोड़ देते तो फिर वही लोग बोलते हैं कि इसे हमें क्यों छोड़ना चाहिए। जब आप बड़े – बड़े त्यौहार में प्याज-लहसुन खाना छोड़ सकते हैं तो आप बाकि दिन भी प्याज-लहसुन खाना छोड़ सकते हैं।

प्याज, लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? Lahsun Pyaj kyu nahi khana chahiye
प्याज, लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? Lahsun Pyaj kyu nahi khana chahiye

आज हम आपको एक नहीं अनेक कारण बताएंगे कि हमें प्याज-लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए।

यह बात तब की हैं जब देवता और असुर मिलकर समुन्द्र मंथन कर रहे थे। इस समुन्द्र मंथन से 9 प्रकार के रत्न प्राप्त हुए थे और सबसे आखिर में अमृत प्राप्त हुआ था। और यह अमृत गलती से असुरों ( राक्षस ) के हाथ लग गया। असुरों से अमृत वापस लेने के लिए साक्षात् परम परमेश्वर भगवान श्री विष्णु मोहिनी का अवतार लिया और असुरों को अपने सुंदरता के माया जाल में फंसा कर उन से अमृत ले ली। और सम्पूर्ण अमृत देवताओं को पीला दिया। उसी बीच एक असुर देवता का रूप धारण करके अमृतपान कर लिया।

जैसे देवताओं को पता चला कि वह देवता नहीं बल्कि एक असुर हैं तभी भगवान विष्णु अपने वास्तविक रूप प्रकट हो गए और अपने सुदर्शन चक्र से उसका सर धर से अलग कर दिए। बाद में उस असुर का जो गर्दन था उसका नाम पड़ा राहु और गर्दन के निचे वाले शरीर का नाम पड़ा केतु।

जैसे उस असुर का सिर धर से अलग हुआ तो उसके कुछ खून के बुँदे जमीं पर गिर गई जिसे ऐसा कहा जाता हैं कि प्याज और लहसुन की उत्पति हुई। इसीलिए प्याज और लहसुन से दिखी गंध आती है। इसके अलावा उस राक्षस के अंदर कुछ अमृत के बुँदे चली गई थी इसीलिए प्याज और लहसुन कई तरह के बीमारियों में औषधि का काम करता हैं।

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इसके अलावा प्याज और लहसुन को तामसिक भोजन के श्रेणी में रखा गया हैं। तामसिक भोजन उसे कहते जिसमे मांस-मछली, प्याज-लहसुन, मदिरा (शराब), आदि शामिल होता हैं उसे तामसिक या राक्षस प्रवृतियों वाला भोजन कहते हैं। इसीलिए हमारे सनातन धर्म में प्याज-लहसुन खाना वर्जित हैं।

लेकिन अफसोस कि वर्तमान समय में अधिकतर हिन्दू धर्म को मानाने वाले लोग तामसिक भोजन करना पसंद करते हैं। आज के समय में बहुत कम ऐसे हिन्दू बचे जो सात्विक (शाकाहारी) भोजन करते हैं। और असल मायने में सात्विक भोजन करने वाला ही सच्चा सनातनी हैं, सच्चा हिन्दू हैं बाकि ढोंग हैं, मोह – माया हैं।

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