तुम कलयुग की ‘राधा’ हो – चंद्रा फुलार । Tum kalyuk ki ‘Radha’ ho
तुम कलयुग की ‘राधा’ हो तुम पूज्य न हो पाओगी…! कितना भी अलौकिक और नैतिक प्रेम हो तुम्हारा तुम दैहिक पैमाने पर नाप दी जाओगी…! तुम मित्र ढूँढोगी वे प्रेमी बनना चाहेंगे तुम आत्मा सौंप दोगी वें देह पर घात लगाएंगे पूर्ण समर्पित होकर भी तुम ‘राधा’ ही रहोगी ‘रुक्मणी’ न बन पाओगी…! पुरुष किसी…