इस कविता को अनुपमा भगत ने लिखी हैं जो काफ़ी गाहराइयों तक जाकर दिल को छू लेने वाली कविता लिखे जाने के लिए जानी जाती हैं । इस कविता में उन्होने बताया हैं कि आसान नहीं होता दिमाग वाली स्त्री से प्रेम करना । एक सच्चा प्रेम क्या होता हैं इस तरह का प्रेम कौन सी स्त्री कर सकती इसके बारे में बड़े अच्छे इस कविता में अनुपमा लिखी हैं । आप एक बारे जरूर पढ़िए —

दिमागवाली स्त्री से प्रेम ।
आसान नहीं होता दिमागवाली स्त्री से प्रेम करना, क्योंकि उसे पसंद नहीं होती जी हुज़ूरी, झुकती नहीं वो कभी जब तक न हो रिश्तों और प्रेम की मज़बूरी। तुम्हारी हर हाँ में हाँ और न में न कहना वो नहीं जानती, क्योंकि उसने सीखा ही नहीं झूठ के डोर से रिश्तों को बांधना। वो नहीं जानती स्वांग के चाशनी में डुबोकर अपनी बात मनवाना, वो तो जानती हैं बेबाकी से सच बोल जाना। फिजूल के बहस में पड़ना उसकी आदतों में शुमार नहीं। लेकिन वो जानती हैं तर्क के साथ अपनी बात रखना। वो क्षण-क्षण गहने-कपड़ो की मांग नहीं किया करती, वो तो संवारती हैं स्वयं को आत्मविश्वास से, निखारती हैं अपने व्यक्तित्व को मासूमियत भरी मुस्कान से। तुम्हारी गलतियों पर तुम्हे टोकती हैं, तो तकलीफ में तुम्हे संभालती भी हैं। उसे घर संभालना बखूबी आता हैं, तो अपने सपनों को पूरा करना भी। अगर नहीं आता तो किसी की अनर्गल बातों को मान लेना। पौरुष के आगे वो नतमस्तक नहीं होती, झुकती हैं तो सिर्फ तुम्हारी निःस्वार्थ प्रेम के आगे। और इस प्रेम के ख़ातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर देती हैं। हौसला हो निभाने का तभी ऐसी स्त्री से प्रेम करना, क्योंकि टूट जाती हैं वो घोखे से, छलावे से, फिर जुड़ नहीं पाती किसी प्रेम के खातिर।
