मैं तुझे कैसे भुलाऊ ।
मुझे पता है तुम्हारे मन मे क्या सवाल चल रहा है यही न कि इतने सालों से नाराज इंसान आज मिलने को क्यों बुलाया है, सच तो ये है कि मैं कभी नाराज था ही नही है और न ही गुस्सा था। ये सारी नफरते ये सारी नाराजगी बस एक दिखावा था, अपने दर्द को छुपाने के लिए ।

पता है मैं अब भी अकेले में रोता रहता हूं तुमको याद करता हु और फिर और रोता हु, मैं अब भी तुमसे उतना ही प्यार करता हु जितना पहले करता था या फिर उससे भी ज्यादा, यू तो मैंने ये बात पहले भी कही है पर फिर भी मैं कहता हूं कि मैं हर रोज तुमको याद करता हु , ऐसा नही है कि मैं तुमसे कभी मिलना नही चाहा पर कुछ मजबूरियों ने इजाजत नही दी
इतने सालों में तुम्हे कभी दिल से बुरा नही कहा है कुछ लोग तुम्हारा जब नाम लेते है तो थोड़ा कुछ बोल देता हूं बस ये दिखाने के लिए कि मुझे उससे कोई वास्ता नही है और अगर फिर भी यकीन नही है तो क्या अब तुमपे मेरा इतना भी हक़ नही की मैं तुमको कुछ बोल सकू
खैर छोड़ो इन सब बातों को मुझे बस इतना कहना है कि मुझसे अब ये तुम्हारी यादो का बोझ सहा नही जाता, इतने साल गुजर गए बन्दा अभी तक तुम्हारी यादो से पीछा नही छुड़ा पाया और शायद इसकी सबसे बड़ी वजह है कि मैं अपने लाइफ में किसी को आने नही दे रहा। मैं चाहता ही नही की तुम्हारी जगह कोई और ले और न मैं कभी दूंगा। मैं कभी तुम्हरा था या नही ये तो मुझे नही मालूम पर मैं तुम्हरा था और आगे भी तुम्हारा ही रहूंगा
पर मेरी जान तकलीफ में रहना अच्छी बात तो नही, ऐसे में तो लाइफ का कुछ हो ही नही पायेगा। जैसा कि हो भी रहा है बस इसी लिए तुमको याद किया कि तुम ही बताओ कि मैं क्या करूँ। मैं इस दलदल से कैसे निकलू कैसे मैं तुमको भुलाऊँ हम कैसे दिल को समझाएँ की अब तुम यहाँ नही हो ।
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