खिलाफत आंदोलन
यह आंदोलन 1919 से 1924 यानि की पांच साल तक चला था। तुर्की में एक धर्म गुरु हुआ करते जिसे वहा खलीफा कहा जाता था।
अंग्रेजो ने इन्हे खलीफा के पद से अपने ताकत से हटा दिया। दुनिया भर के मुसलमान इन्हे बहुत बड़ा धर्म गुरु मानते थे। जिसके कारण देश के सभी मुसलमान एक हो गए और यही से शुरू हुआ खिलाफत आंदोलन।
गाँधी जी मुसलमानो को अपने साथ लेने के लिए खिलाफत आंदोलन में बड़ा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने लग गए। गाँधी जी मुसलमानो को अपने साथ इसलिए लेना चाहते थे ताकि अंग्रेजो से लड़ने में वे लोग भी साथ दे।
इसीलिए गाँधी जी खिलाफत आंदोलन के मदद से मुसलमानो का दिल जितने का कोशिश कर रहे थे। जब से गाँधी जी खिलाफत आंदोलन का हिस्सा बने तब से यह अंदोलन बड़ी तेजी से आगे बढ़ने लगा।
1921 में दक्षिण भारत में मुसलमानो ने 1500 हिन्दुओ को मार दिया , जबरदस्ती 2000 हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन करवाके मुसलमान बनाया गया। जबरदस्ती जब हिन्दुओ को मारा जा रहा था , उनका धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा था , तब गाँधी चुप रहे कुछ भी नहीं बोला क्योकिं गाँधी मुसलमानो का दिला जितना चाहते थे।
सारे हिन्दू परेशान हो रहे थे कि गाँधी क्यों नहीं बोल रहे हैं। हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा हैं ये तो गलत बात हैं लेकिन गाँधी एक ही जिद्द पकड़ के बैठे थे कि मुझे मुसलमानो का दिल जिताना हैं, मुझे मुसलमानो अपने साथ लेना हैं ताकि वे लोग देश आज़ाद कराने में हमारी मदद करेंगे.
गाँधी ने साफ़ कह दिया हमारे लिये पूरा देश महत्वपूर्ण हैं या 1500 – 2000 हिन्दू नहीं। गाँधी ने साफ़ साफ कह दिया मुझे तो देश को बचना हैं जाने दो 1500 -2000 हिन्दुओ को मारा गया उनका धर्म परिवर्तन करवाया गया उस से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। धर्म के आधार पर हिन्दुओ मारा गया ,उनका धर्म परिवर्तन करवाया गया। इस मुद्दे पर गाँधी का न बोलना मज़बूरी था या जरुरी। . आप अपनी राय कमेंट करके बता सकते हो।
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