गाँधी ने भगत सिंह को क्यों नहीं बचाया ?
गाँधी – इरविन समझौता
इस बात को जानने के बाद आप गाँधी को पसंद नहीं करेंगे। ये वही इरविन पैक्ट हैं जिसमे भगत सिंह, राजगुरु , सुकदेव को फांसी दिया गया और गाँधी ने बचाया तक नहीं।
सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि इरविन पैक्ट हैं क्या हैं ? उस समय वायसराय इरविन थे , गाँधी ने इरविन को बहुत समझाया कि भाई हमलोगो आपसे हाथ जोड़कर लड़ रहे हैं, आपके ऊपर हाथ नहीं उठा रहे, आपको तंग नहीं कर रहे इसे बोलते हैं अहिंसा। तो जो बेचारे अहिंसा से आपलोगो से लड़ रहे हैं उसे तो जेल में मत डालो।
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वायसराय गाँधी के इस प्रस्ताव को मान गया , इरविन बोला मैं अहिंसा वालो को जेल में नहीं डालूंगा। गाँधी से वायसराय इरविन ने कहा लेकिन इस भगत सिंह, राजगुरु, सुकदेव का क्या करूँ। ये लोग तो हिंसा किये हैं। गाँधी ने वायसराय से साफ़ बोल दिया जैसा आपको उचित लगता हैं आप कीजिये। गाँधी ने भगत सिंह, राजगुरु,सुकदेव को बचाया नहीं।
जब गाँधी से सुभाष चंद्र बोस और सरदार बल्ल्भ भाई पटेल पूछे कि आपने भगत सिंह, राजगुरु,सुकदेव को बचाया क्यों नहीं , ये तीनो देश के लिए बहुत बड़ी सहादत दे रहे हैं तो गाँधी ने कहा “मेरी बात वायसराय से हो गई जो बिना लड़े देश के आजदी के लिए लड़ेगा उसी को मैं बचाऊगां।
हिंसा करके देश के आजादी के लिए लड़ने वालो को मैं बिलकुल भी नहीं बचाऊंगा। सुभाष पटेल कहते रह गए गाँधी से भगत सिंह को बचाओ , गाँधी ने कहा उन तीनो को बचाना मेरे नियम कानून में नहीं आता। मैं अहिंसा के मार्ग पर चलने वाला ,मैं कभी भी हिंसा के मार्ग पर चलने वालो का साथ नहीं दे सकता।
गाँधी का साफ कहना था कि तुम यदि मेरे बताये रास्ते पर चलोगे तो मैं तुम्हे बचाऊंगा नहीं तो नहीं ! कुछ इतिहासकार ये भी कहते हैं कि वायसराय इरविन ने गाँधी से यहाँ तक कहा था कि तुम यदि भगत सिंह का कमेंटमेंट लेकर दे दो कि दुबारा ऐसी हरकत नहीं करेगा तो मैं भगत सिंह, राजगुरु, सुकदेव को भी छोड़ दूंगा।
गाँधी ने यहाँ भी साफ माना कर दिया कि क्या पता भगत सिंह आगे चलकर बदलेगा या नहीं ,इसकी तो आदत बन गई हैं अंग्रेजो को मरना पीटना मैं इन लोगो का इस समय साथ नहीं दे सकता क्योंकि मेरा मानना हैं कि हाथ जोड़ कर ही लड़ाई लड़ेंगे।
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कुछ इतिहासकार यह भी कहते हैं लोगो ने गाँधी से कहाँ कि चलो भगत सिंह को छोड़ो मत कम से कम उनका फांसी तो माफ़ करा दो , दस या बिस साल के लिए जेल में डाल दो। गाँधी ब्रिटेन चला गया लेकिन आश्वासन पत्र लिख कर नहीं दिया अब आप बताइये क्या गाँधी को ऐसा करना चाहीये था यह गाँधी के लिए मज़बूरी था या जरुरी था। आप निचे कमेंट कर के बता सकते हैं।
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