रामायण तो आपने जरूर देखी होगी , लेकिन क्या आपको पता हैं रावण के वध के पश्चात रावण की बहन शूर्पणखा कहा कई। आज हम इस लेख में यही जानने वाले हैं।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि एक शूर्पणखा के चलते रावण का पूरा वंश ख़त्म हो गया। रामायण में भी शूर्पणखा के बारे में बहुत कम बताया गया हैं। जब भगवान लक्षण द्वारा शूर्पणखा की नाक काट दी जाती तब शूर्पणखा अपने भाई खर और धूषण इसके बाद अपने बड़े भाई रावण के पास मदद के लिए जाती हैं। इसके बाद से शूर्पणखा का जिक्र कही नहीं मिलता हैं। आपने तो कभी न कभी ये जरूर सोच ही होगा कि रावण के वध के बाद शूर्पणखा का क्या हुआ? तो चलिए जान लेते हैं।
रामायण के बाद शूर्पणखा का क्या हुआ ?
शूर्पणखा के बारे में ऐसा कहा जाता कि रावण के मृत्यु के बाद शूर्पणखा वनवास चली गई, और घोर तपस्या कर के मुक्ति प्राप्त की। इसके बाद शूर्पणखा का कही भी जिक्र नहीं होता हैं। आपको ये बाद जानकर आशचर्य होगा कि श्रीलंका में रहने वाली एक महिला ने शूर्पणखा का अवतार होने का दवा किया हैं।
इस महिला का नाम गंगा सुदर्शनी हैं। इनका कहना हैं कि इनके पास दिव्य शक्तियां भी हैं जिस से भविष्य में होने वाली घटना को ये पहले ही जान लेती हैं। आज के समय में ऐसे बातों पर विशवास करना थोड़ा मुश्किल हैं। लेकिन क्या कर सकते ये उनका दवा हैं कि रावण कि बहन शूर्पणखा का अवतार हैं।
इसे भी पढ़े : रावण के मृत्यु के बाद शूर्पणखा का क्या हुआ ?
रावण ने क्यों की थी शूर्पणखा के पति की हत्या ?
रावण अपनी बहन शूर्पणखा के लिए अपनी पसंद के वर से शादी करवाना चाहता था , लेकिन शूर्पणखा को अपने भाई द्वारा पसंद वर बिलकुल भी पसंद नहीं थे। इसीलिए रावण ने बहन को ये आज़ादी दे दी कि तुम जिस पसंद करोगी मैं उसी से तुम्हारी शादी धूम धाम से करवाउंगा। लेकिन शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को बताए बिना उसके ही शत्रु विद्युतजिव्ह से जाकर विवहा रचा लिया
जब इस बात की रावण को सूचना मिली , तो रावण आग बबूला हो गया और शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह को मृत्युदंड देने का संकल्प कर लिया। और रावण की संकल्प शक्ति को पूरी दुनिया जानती हैं। जैसे ही शूर्पणखा अपने पति विद्युतजिव्ह के साथ रावण के दरबार में आई, रावण ने बिना विलम्ब किये शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह का सिर उसके शरीर से अलग कर दिया। ऐसा कहा जाता हैं कि शूर्पणखा अपने पति के मृत्यु का बदला लेने के लिए रावण के पुरे वंश को समाप्त करने के लिए संकल्प ले ली। और बिना किसी कारण के ही पंचवटी में आकर भगवान श्री राम से बैर मोल ले ली ,एवं भगवान लक्षण से अपनी नाक कटवाली। यही से रावण के वंश का अंत आरम्भ हुआ।