![Ayodhya Ram Mandir History in Hindi: राम मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास 1528 से 2024 तक 1 knowledge folk Ayodhya Ram Mandir History in Hindi: राम मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास 1528 से 2024 तक](https://knowledgefolk.in/wp-content/uploads/2024/01/Ayodhya-Ram-Mandir-History-in-Hindi-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3-%E0%A4%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8-1528-%E0%A4%B8%E0%A5%87-2024-%E0%A4%A4%E0%A4%95.webp)
आज के इस आर्टिक्ल में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का सपूर्ण इतिहास (1527 – 2024) के बारे में आपको विस्तार से जानने को मिलेगा । तो आप इस आर्टिक्ल को अंत तक और धैर्य के साथ पढ़ते रहिए –
आज हम उन सभी भक्तों के बारे में भी जानेंगे जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपनी प्राण त दे दी । कैसे एक अच्छे खासे मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना दिया गया था। किसी – किस ने राम मंदिर का विरोध किया । इन सब का नाम इतिहास के पन्नो पर काले अक्षरों में लिखा जाएगा । तो चलिए अब हम सीधे 1528ईसवी में चलते हैं ।
अयोध्या नगरी का इतिहास
आपको बता दे कि अयोध्या नगरी का इतिहास त्रेता युग से भी पुराना हैं। भगवान राम के समय में अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी हुआ करती थी। इस नगरी का पुराना नाम साकेत नगर था। अयोध्या शब्द संस्कृत की क्रिया युद्ध लड़ना या युद्ध छेड़ना का नियमित रूप में बना व्युतपति हैं। योद्धया भविष्य का निष्क्रिय कृदंत हैं जिसका अर्थ हैं लड़ जाना। प्राचीन भारतीय संस्कृत भाषा के महाकव्यों, जैसे रामायण, महाभारत में अयोध्या नाम के एक पौराणिक शहर का उल्लेख मिलता मिलता हैं। जो भगवान राम सहित कोसल के प्रसिद्ध इक्ष्वाकु राजाओं की राजधानी हुआ करती थी।
गौतम बुद्ध के समय कोसल राज्य के दो भाग हो गए थे – 1.उतर कोसल और 2. दक्षिण कोसल जिसके बीच से होकर पवित्र सरयू नदी बहती थी। हमारे शास्त्रों के अनुसार अयोध्या को देवताओं और ऋषियों का नगरी बताया गया हैं। वही इस नगरी अयोध्या की तुलना देवताओं के राजा देवराज इंद्रा के राज्य स्वर्ग लोक से की गई हैं। यह नगरी सरयू नदी के तट पर 12 योजन लम्बाई और 3 योजन चौड़ाई में बसी हुई हुई थी।
![Ayodhya Ram Mandir History in Hindi: राम मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास 1528 से 2024 तक 2 knowledge folk अयोध्या नगरी का इतिहास](https://knowledgefolk.in/wp-content/uploads/2024/01/%E0%A4%85%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8-1024x576.webp)
आपको बता दे कि जैन मत के अनुसार यहाँ 24 तीर्थकरों में से 5 तीर्थकरों का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। पहले तीर्थकार ऋषभनाथ, दूसरे अजितनाथ, चौथे अभिनन्दननाथा, पांचवे सुमितनाथ और चौदहवें तीर्थकार अनंतनाथ जी का जन्म यही हुआ था। इसके अलावा जैन धर्म और वैदिक मतों के अनुसार भगवान राम का भी जन्म इसी भूमि पर हुआ था। राम एक ऐतिहासिक महापुरुष हैं और इसका प्रमाण भी हैं। शोध करने पर पता चला कि भगवान का राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व इसी स्थान पर हुआ था।
भगवान राम सम्पूर्ण राक्षसों का विनास कर अपने भाइयों सहित जल समाधी लेकर वैकुण्ड धाम पहुंच गए। भगवान राम के जाने के बाद अयोध्या उजाड़ हो गई। चारों तरफ सन्नाटा छा गया। लेकिन इस सन्नाटे को दूर करने के लिए भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुनः राजधानी अयोध्या का पुर्ननिर्माण करवाया। भगवान राम के भव्य मंदिर बनवाये। इसके बाद सूर्यवंश के अगले 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकारार रहा।
एक बार फिर महाभारत युद्ध के बाद अयोध्या उजाड़ हो गई लेकिन उस समय भी भगवन राम के जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था एवं लगभग 14वीं सदी तक सुरक्षित रहा।
अब वह समय नजदीक था जब राम जन्मभूमि पर एक लम्बे समय तक चलने वाल विवाद छिड़ने वाला था। यह बात हैं साल 1527-28 की, बाबर के आदेश पर राम मंदिर को तोड़कर ठीक उसी स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर दिया गया। आगे चलकर यह मस्जिद बाबरी मस्जिद के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
अयोध्या को नष्ट करने का प्रयास
जितनी बार हमारे देश को लूटने विदेशी आक्रमणकारी आये, वह सबसे पहले हमारे देश संस्कार और संस्कृति पर आक्रमण करते थे। इन आक्रमणकारियों न कितनी बार मंदिरों की नगरी कहे जाने वाली अयोध्या को नष्ट करने की कोशिश की। राम मंदिर के जगह मंदिर तोड़कर बाबरी ढांचा खड़ा कर दिया। अयोध्या को नष्ट करने के लिए मुगलों द्वारा कई अलग – अलग तरह के अभियान चलाए गए। इन मुगलों ने भव्य मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवा दिया। लेकिन प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि कभी नष्ट न हो सकी।
मंदिर तोड़कर मस्जिद कब बनाया गया?
सन 1527-28 में बाबर के आदेश पर विदेशी आक्रांताओ ने भगवान श्रीराम का मंदिर तोड़कर ठीक उसी जगह पर मस्जिद का निर्माण करवा दिया। आपको क्या लगता हैं जब मंदिर को मुस्लिम आक्रांताओ द्वारा तोड़ा गया होगा तब लोगों ने इसका विरोध नहीं किया होगा। तो आपके जानकरी के लिए बता दे कि जितनी मंदिर बनाने में ईट नहीं लगी थी उस से कही अधिक तो हिन्दुओ ने अपने सीस कटवा लिए मंदिर को बचाने के लिए फिर भी वो मंदिर बचाने में असमर्थ रहे। तब से लेकर आज तक हम राम मंदिर का लड़ाई लड़ रहे।
![Ayodhya Ram Mandir History in Hindi: राम मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास 1528 से 2024 तक 3 knowledge folk विवादी ढांचे (मस्जिद)](https://knowledgefolk.in/wp-content/uploads/2024/01/babari-masjid-1024x576.webp)
विवादी ढांचे (मस्जिद) को कब गिराया गया?
6 दिसंबर 1992 को राम जन्मभूमि पर बनाई गई मस्जिद को बलपूर्वक ध्वस्त कर दिया गया और वही पर एक अस्थाई राम मंदिर का निर्माण कर दिया गया। आपको बता दे कि RSS और BJP के नेतृत्व में इस स्थान को स्वतंत्र करने एवं वहां एक भव्य मंदिर बनाने के लिए लम्बा आंदोलन चला। जिसके परिणामस्वरूप आज अयोध्या में इतना भव्य राम मंदिर का सपना साकार हो रहा हैं और इसी मंदिर का उद्द्घाटन 22 जनवरी को हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने वाले हैं।
राम मंदिर के जमीन को लेकर पहली बार विवाद कब हुआ था?
यह बात तब कि जब हमारा देश अंग्रेजों के आधीन था। इस जमीन को लेकर सबसे पहले 1853 में एक बड़े विवाद को दर्ज किया गया था। अंग्रेजों को छोटा सा दिखने वाला विवाद दिन पर दिन विकराल विवाद का रूप लेते जा रहा था। तब अंग्रेजों सन 1859 में ने इसका एक हल निकला और पूजा करने के लिए राम जन्मभूमि का बहार का हिस्सा हिन्दुओं को दे दिया एवं राम जन्मभूमि के अंदर वाले हिस्से को नमाज के लिए मुसलमानों को दिया।
इस समाधान से विवाद शांत होने के जगह और विकराल हो गया क्योंकि वहां का सम्पूर्ण जमीन मंदिर का था जिसे अंग्रेजों ने बाटकर आग में घी डालने का काम कर दिया। साल 1949 में अंदर के हिस्से में जहाँ अंग्रेजों ने नमाज पढ़ने के लिए मुसलमानों को दे दिया था वहां पर भी भगवान राम की मूर्ति पाया गया। इस विवाद को फिर से बढ़ता देख तत्कालीन सरकार ने मंदिर और मस्जिद के गेट पर ताला लगा दिया।
राजीव गाँधी मुस्लिम वोट के लिए खुलवाए बाबरी मस्जिद का गेट
यह बात हैं 1 फ़रवरी, 1986 की जब जिला न्यायाधीश KM पांडेय ने मात्र एक दिन पहले यानि 31 जनवरी 1986, को दाखिल की गई एक अपील पर सुनवाई करते हुए तक़रीबन 37 साल से बंद पड़े बाबरी मस्जिद के ताले खोलने का आदेश दे दिया।
उस समय उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। धारणा यह हैं कि बाबरी मस्जिद का दरवाजा इसलिए खुलवाया गया था क्योंकि उसने मुस्लिम तलाक सुधा महिला शाहबानों के मामले को संसद से कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के गुजरा भत्ता पर दिए गए फैसले को उलट दिया था। इस पुरे मामले को कांग्रेस की राजनीतिक सौदेबाजी बताया जाता हैं – BBC
राम मंदिर के लिए लीगल लड़ाई (1992 – 2019)
अपने ही देश में, अपने भगवान के जन्मभूमि के लिए सालों – साल तक कोर्ट में लीगल लड़ाई लड़नी पड़ी। यह केवल भारत में ही हो सकता था। 6 दिसंबर 1992 को एक राजनितिक रैली के दौरान राम जन्भूमि पर बने बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया गया। तब से लेकर 2019 तक यह लड़ाई जारी रहा। साल 2019 में अगस्त से अक्टूबर में विवादित मामलों की सुनवाई की।
9 नवंबर 2019 को, मुख्या न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसल सुनाया – पिछले निर्णय को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया कि कर रिकॉर्ड के आधार पर यह भूमि सरकार की थी। कोर्ट ने हिन्दू मंदिर बनाने के लिए विवादित जमीन को एक ट्रस्ट को सौपने का आदेश दिया।
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कोर्ट ने अपने अगले आदेश में यह कहाँ कि सरकार को मस्जिद बनाने के उत्तरप्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को बाबरी मस्जिद के नीचे खुदाई करने पर वहां मंदिर के अवशेष मिले थे। जिसके बाद भारत के सुप्रीम कोर्ट में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया गया।
5 फ़रवरी 2020 को, भारत सरकार ने वहां राम मंदिर के पुर्ननिर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नामक एक ट्रस्ट की घोषणा की। मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए भारत सरकार ने अयोध्या के धन्नीपुर में 5 एकड़ का जमीन प्रदान किया।
FAQ
राम मंदिर का उद्द्घाटन
22 जनवरी 2022
राम जन्म भूमि का फैसल कब हुआ?
9 नवंबर 2019 को
राम जन्मभूमि का आंदोलन कब से कब तक चला?
1527 – नवंबर 2019