Chandragupt Maurya Biography चन्द्रगुप्त मौर्या जीवनी
चन्द्रगुप्त मौर्या का जन्म 340 BC में हुआ। भारत के महानतम एवं शक्तिशाली शासकों में से एक थे चन्द्रगुप्त मौर्या। सबसे पहले इन्होने अपने गुरु चाणक्य के मदद से नंद वंश के शासक धनानंद को पराजित किया और मौर्या साम्राज्य की स्थापना की। चन्द्रगुप्त पुरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफल रहे और उस साम्राज्य नाम हैं मगध जो कि बिहार में स्थित हैं। चन्द्रगुप्त मौर्या के राज्याभिषेक की तिथि 321 BC निर्धारित की जाती हैं। और इन्होंने 299 BC में गद्दी छोड़ दी। इस प्रकार इन्होंने मगध साम्राज्य पर 22 वर्षो तक शासन किया।
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जन्म |
340 BC |
मृत्यु |
297 BC (43 वर्ष के उम्र मे ) |
शासन की अवधि |
321 BC से 299 BC तक |
चंद्रगुप्त से पहले |
नंद वंश |
चंद्रगुप्त के बाद |
बिंदुसार मौर्य |
पत्नी |
दुर्धरा और हेलेना (हेलेना सेलुकस निकेटर की बेटी / पुत्री ) |
धर्म |
सनातन धर्म (हिन्दू ) अंत में जैन धर्म से मोक्ष प्राप्ति |
पिता |
सूर्यगुप्त स्वार्थसिद्धि मौर्या |
माता |
मुरा |
गुरु |
आचार्य चाणक्य अन्य नाम विष्णु गुप्त, कौटिल्य |
पुत्र |
बिन्दुसार मौर्या |
- चन्द्रगुप्त मौर्या प्राचीन भारत के एक
- महत्वपूर्ण राजा हैं। चन्द्रगुप्त को सिंहासन पर बैठने से पहले, सिकंदर उत्तर पश्चमी भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण कर दिया लेकिन 324 BC में सिकंदर के सेना में विद्रोह हो गया और इस विद्रोह का मुख्या कारण था भारतीय देवी – देवता का सिकंदर के सेना में डर होना।
- ग्रीक और लैटिन लेखों में, चन्द्रगुप्त को सैंड्रोकोट्स और एण्डोकोडस के नाम से भी जाना जाता हैं।
- मेगस्थनीज ने 4 साल तक चन्द्रगुप्त के दरबार में एक यूनानी राजदूत के रूप में अपनी सेवा दी थी।
- चन्द्रगुप्त ने अपने गुरु चाणक्य के साथ मिलकर, एक नया साम्राज्य बनाया। राज्यच्क्र के सिद्धांतों को लागू किया। एक बड़ी सेना का निर्माण किया और अपने साम्राज्य के सीमाओं को विस्तार करता रहा।
- सिकंदर जब भारत पर आक्रमण किया तब सम्पूर्ण भारत में नंदवंश के शासक धनानंद का शासन था। यह एक क्रूर शासक था जिसे नहीं तो अपने साम्राज्य की चिंता थी और नहीं अपने साम्राज्य की। दिन भर नशे में लुप्त रहता था। इसीलिए चाणक्य ने इसे गद्दी से हटाने निर्णय लिया और किसी योग्य शासक को मगध के गद्दी पर बैठाने संकल्प किया।
- चन्द्रगुप्त मौर्या के दो पुत्र थे। जस्टिन और बिंदुसार। जस्टिन हेलेना के गर्भ से जन्म लिया और बिन्दुसार दुर्धरा के गर्भ से जन्म लिया था।
- चन्द्रगुप्त मौर्या के मतहत्वपुर्ण युद्ध में एक था धनानंद के साथ राज गद्दी के लिए युद्ध। इसी युद्ध में चन्द्रगुप्त ने नंद वश का अंत कर दिया और मौर्या वंश की स्थापना की।
- मैसूर से उपलब्ध कुछ अभिलेखों से चन्द्रगुप्त द्वारा शिकार पुर तालुक के अंतर्गत नागरखंड की रक्षा करने का उल्लेख मिलता हैं। उक्त अभिलेख 14वी शताब्दी का हैं।
- चन्द्रगुप्त ने सौराष्ट्र पर भी विजय प्राप्त की थी। महाक्षत्रप रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से प्रमाणित हैं कि वैश्य पुष्यगुप्त यहाँ के राज्यपाल थे।
- चन्द्रगुप्त का अंतिम युद्ध सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर के साथ हुआ। इस युद्ध में सेल्यूकस हारने के डर से अपनी बेटी हेलेना की शादी चन्द्रगुप्त से करवा दिया। जिससे सेल्यूकस निकेटर चन्द्रगुप्त का संबंधी बन गया।
- चन्द्रगुप्त मौर्या के मृत्यु के बाद चन्द्रगुप्त का पुत्र बिन्दुसार राज गद्दी पर बैठा।