दशहरा क्यों मनाया जाता हैं निबंध 2023 | Dussehra Festival Essay in Hindi 2023
यह महापर्व बुराई पर अच्छाई का जीत प्रतिक हैं। इस 10 दिन तक चलने वाले इस महापर्व को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता हैं।
यह ख़ुशी का त्यौहार हैं , हर्ष और उल्लास का त्यौहार हैं। क्योंकि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध करके उस पर विजय प्राप्त किये थे तथा माँ दुर्गा ने नव रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इस विजय को असत्य पर सत्य का सबसे बड़ा विजय भी कहा जाता हैं। दशमी के दिन जगह – जगह पर रावण, मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले को जलाया जाता हैं।
2021 दुर्गा पूजा कब मनाया जायेगा?
भारतीय कैलेंडर के अनुसार दशहरा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जायेगा। इस पर्व को 2021 में 15 अक्टूबर शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा। इस दिन भारत के कोने – कोने में रावण, मेघनाथ एवं कुम्भकरण का पुतलायें जलाए जाते हैं। यह असत्य पर सत्य का विजय का प्रतिक हैं।
दशहरा पर्व की सच्ची कहानी। दशहरा क्यों मनाया जाता हैं ?
दशहरा मनाने के पीछे वैसे तो बहुत सारी सच्ची कहानियाँ हैं लेकिन मैं आपको आज सबसे प्रसिद्ध और चर्चित कहानी बताने वाला हूँ। और वह श्री राम और रावण की।
एक समय की बात हैं जब माता कैकई (भगवान राम की दूसरी माँ ) ने अपने पति महाराज दशरथ (राम के पिता ) से दो वरदान देने की अनुरोध की। महाराज दशरथ मान गए और बोले माँगो जो मांगना हैं मांगो मैं जरूर दूंगा। कैकई मैं तुम्हें वचन देता हूँ तुम जो माँगोगी मैं ओ दूंगा तुम्हे। महाराज दशरथ को ये थोड़ी न जानते थे की कैकई कुछ ऐसा मांग लेगी जिस से उनके प्राण ही निकल जाये। फिर माता कैकई ने अपना वरदान माँगा
पहला वरदान : राम को 14 वर्ष के लिए वन में भेज दीजिये।
दूसरा वरदान : मेरे पुत्र भरथ को अयोध्या का राजा बना दीजिये।
महाराज दशरथ वचन दे चुके थे। रघुवंश में एक कहावत प्रसिद्ध हैं।
रघुपति रीत सादा चली आई |
जान जाये पर वचन न जाये ||
महाराज दशरथ ने वरदान तो दे दिया लेकिन पुत्र वियोग में अपनी प्राण त्याग दी। श्री राम के साथ वन जाने के लिए माता सीता और लक्षमण स्वयं तैयार हो गए।
फिर राम अपने भाई लक्षमण और अपनी सीता के संघ वन में चले गए। फिर क्या माता सीता को पंचवटी से रावण ने अपहरण कर लिया। फिर रावण से सीता को छुड़ाने के लिए राम ने रावण से युद्ध किया और उसे पराजित कर माता सीता को मुक्त करा लिया। इसी विजयी के स्वरुप में हर साल विजयदशमी मनाया जाता हैं और इसीलिए इसी दिन रावण का पुतला भी जलाया जाता हैं।
रावण का पुतला क्यों जलाया जाता हैं ?
रावण का पुतला जलाने के पीछे वैसे तो बहुत सारे कारण लेकिन मैं एक प्रसिद्ध कारण बताता हूँ। रावण के पुतला जलाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण हैं औरतों का सम्मान।
अगर तुम भी औरतों को गलत नज़र से देखोगें तो कल तुम्हारा भी पुतला जलाया जायेगा , तुम्हारा पूरा ख़ानदान / वंश ख़त्म हो जायेगा, जैसे एक सीता के चलते ज्ञानी, शक्तिशाली अधर्मी रावण का पूरा वंश ख़त्म हो गया , तो हम और आप किस खेत के मूली हैं। औरतों को अच्छे नज़र से देखो, तुम्हारे दिमाग़ में जो हवस भरा है उसे निकल कर फेक दो नहीं तो तुम्हारा अंत कैसा होगा उसे शब्दों में नहीं लिखा जा सकता।
महिषासुर और माँ दुर्गा का युद्ध
महिषासुर के अत्याचरों से परेशान होकर माँ दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध करने का फैसला किया। महिषासुर पुरे नौ दिन और नौ रात युद्ध करने के बाद दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर को मार दिया।
इसी लिए नवरात्र में नौ दिन और नौ रात अन्न त्यागा सिर्फ थोड़े फ़ल खाकर नौ दिन और नौ रात तक माँ दुर्गे की पूजा अर्चना किया जाता हैं। और दसवें दिन माँ का बड़े धूम धाम से पूजा अर्चना करने के बाद नवरात्र व्रत को स्थगित किया जाता हैं। फिर नौ दिन बाद दसवे दिन लोग अन्न जल ग्रहण करने लगते हैं।