Bhagat Singh Biography। भगत सिंह जीवन परिचय ।

हर साल 15 अगस्त को भारत अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। स्वतंत्रता दिवस मनाने का मतलब है कि भारत कभी गुलाम था। जी हां, भारत पर एक समय अंग्रेजो का राज था। भारत को अंग्रेजो से आज़ादी दिलवाने के लिए कईं क्रांतिवीरों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए और सदैव के लिए अमर शहीद हो गए। उन्हीं क्रांतिकारियों में से एक नाम है अमर शहीद भगत सिंह ।
भगत सिंह कहते थे , ” वो मुझे मार सकते है, पर मेरे विचारों को नही मार सकते, वो मेरे शरीर को कुचल सकते है , पर वो मेरी आत्मा को कभी नही कुचल पायेंगे “ । इस लेख में इन्ही महान क्रांतिकारी अमर शहीद भगत सिंह की जीवनी के ऊपर प्रकाश डाली गई है।
भगत सिंह जीवन परिचय (Bhagat Singh Biography)
नाम | शहीद भगत सिंह ( अमर क्रान्तिकारी) |
जन्म तारीख | 28 सितंबर 1907 |
जन्म स्थान | लायलपुर जिला, पंजाब ( अब यह स्थान पाकिस्तान में हैं ) |
पिता का नाम | किशन सिंह संधु |
माता का नाम | विद्यावती कौर |
शिक्षा | दयानन्द एंग्लो वैदिक हाई स्कूल, नेशनल कॉलेज लाहौर |
वैवाहिक जीवन | अविवाहित |
रुचि | किताबें पढ़ना और लेख लिखना। |
मुख्य आंदोलन /कांड | असहयोग आंदोलन, ककोरी कांड, सेंट्रल असेंबली बम कांड |
मुख्य संगठन | हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन, भारत नौजवान, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन |
शहीद दिवस | 23 मार्च 1931 |
सजा की तारीख | 24 मार्च 1931 |
अमर नारा | इंकलाब जिन्दाबाद |
भगत सिंह का जन्म कब हुआ था ?
भगत सिंह जी का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था। जो उस वक्त भारत का हिस्सा था और सन् 1947 के बटवारें के बाद से पाकिस्तान का हिस्सा है।
अन्य नाम : भगत सिंह जी को शहीद ए आजम नाम से भी जाना जाता है।
भगत सिंह के माता पिता
भगत सिंह जी की माता जी का नाम विद्यावती कौर और पिता जी का नाम किशन सिंह संधु था। पिता किशन सिंह किसान थे ।
भगत सिंह का जाति/धर्म : भगत सिंह एक जाट सिख परिवार में पैदा हुए थे । हालांकि वे खुद नास्तिक थे । इस बात का प्रमाण इस बात से भी आता है कि जब उन्हे फांसी पर चढ़ाने से पहले आखिरी बार अपने ईष्ट को याद करने के लिए बोला गया तो उन्होंने कहा था कि ” जिसे मैंने सारी जिंदगी याद नही किया , उसे अब आखिरी समय में याद करूंगा तो वो भी सोचेगा कि ये कैसा बेईमान बंदा है” ।
भगत सिंह की शिक्षा
भगत सिंह ने कक्षा 5 तक की पढ़ाई गांव में की और उसके बाद उन्होंने आर्य समाज द्वारा संचालित लाहौर के दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल में दाखिला लिया। कॉलेज की पढ़ाई भी उन्होंने लाहौर के ही नेशनल कॉलेज से करी ।

वैवाहिक जीवन
भगत सिंह जी अविवाहित रहे। जब भी उनके घरवाले उनसे शादी की बात करते थे तो क्रान्तिकारी भगत सिंह जी कहते थे कि “ आज़ादी ही मेरी दुल्हन बनेगी“।
भगत सिंह की रुचि
भगत सिंह जी को किताबे पढ़ने का बड़ा शौक था। अपने स्कूल समय में उन्होने 50 से अधिक और कॉलेज समय में 300 से अधिक किताबे पढ़ डाली थी । यहां तक कि जेल में भी वे किताबे पढ़ते रहते थे और जब फांसी से पहले उनसे उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा था कि वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे है और उन्हें वह पूरा करने का समय दिया जाए।
भगत सिंह द्वारा आंदोलन और संगठन
13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह जी की सोच पर काफी गहरा प्रभाव डाला। भगत सिंह जी किसी भी हाल में देश को आज़ाद करवाना चाहते थे । भगत सिंह जी गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए । 1922 में गोरखपुर के चौरी चौरा नामक स्थान के पुलिस थाने के सामने भगत सिंह और उनके साथियों ने प्रदर्शन किया ।
प्रदर्शनकारियों ने विदेशी सामान के बहिष्कार के नारे लगाए तभी पुलिस वालों ने गोलियां चलाकर कुछ प्रदर्शनकारियों की हत्या कर दी। अपने साथियों की मौत से गुस्से में आए प्रदर्शनकारियों ने थाने में आग लगा दी और थाने में मौजूद 17 पुलिस वाले जलकर मर गए। इस हिंसक घटना का जब गांधीजी को पता चला तो वे बेहद नाराज हुए और उन्होंने उसी दिन असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
भगत सिंह जी गांधीजी के विचारो से सहमत नही थे और वे पंडित चंद्रशेखर आजाद से जुड़ गए । पंडित आजाद ने 1924 में रामप्रसाद बिस्मिल और अन्य साथियों के साथ मिलकर हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की थी ।
1925 में भगतसिंह जी ने और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काकोरी काण्ड को अंजाम दिया। जिसके तहत उन्होंने अंग्रेजी खज़ाने को लूट लिया। लेकिन बाद में पकड़े जाने पर राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लां खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। जिसके बाद भगत सिंह जी का खून और खोल उठा।

बाद में चंद्रशेखर आज़ाद ने भगत सिंह के साथ एक नए संघ भारत नौजवान सभा का गठन किया। जिसका बाद में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में विलय किया गया और फिर आम सहमति से इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन किया गया ।1928 में लाला लाजपत की अंग्रेजो ने हत्या कर दी। जिसका बदला भगत सिंह और साथियों ने एक बड़े पुलिस अफसर को मारकर लिया ।
जिसके बाद वे सब लाहौर से भटिंडा चले गए। वहां जाकर बटुकेश्वर दत्त को अपने साथ लिया और कुछ कम हानि पहुंचाने वाले बम तैयार किए। सेंट्रल असेंबली में खाली जगह ढूंढकर वीर क्रान्तिकारियों ने वहां बम फेंक दिए और बम फेंककर इंकलाब जिन्दाबाद के नारे लगाने लगे। भगत सिंह और उनके साथियों ने जानबूझकर खुद को पकड़वा दिया ताकि उनकी गिरफ्तारी से और लोगो के मन में भी आज़ादी के लिए क्रान्तिकारी विचार आ सकें।
7 अक्टूबर 1930 को उन्हे , सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सजा सुनाई गई। जेल में भी भगत सिंह जी आन्दोलन चलाते रहते थे। जेल में वे और उनके साथी अनशन पर बैठ गए और साथ ही जेल से ही उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कईं लेख लिखने शुरू किए और जेल में रहकर भी उन्होंने कईं किताबे पढ़ डाली।
भगत सिंह को सजा
24 मार्च 1931 वो तारीख है जो कि भगत सिंह और उनके दोनो साथी सुखदेव और राजगुरू को फांसी देने के लिए तय की गई। ये खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गई । कहीं लोग भगत सिंह की फांसी के समय वहां आकर हिंसक प्रदर्शन ना करने लग जाएं, इसी डर से उनको फांसी 24 मार्च 1931 की सुबह के बजाय 23 मार्च 1931 की शाम को ही दे दी गई। देश के तीन नवयुवक उस शाम हंसते हंसते अमर शहीद हो गए और उनकी फांसी कारण बनी देश के और युवाओं में आज़ादी के प्रति जागरूकता लाने में, जिसके चलते भारत सन् 1947 में आज़ाद हो पाया। सलाम है इसे ऐसे वीरों को ।
Bhagat Singh Fasi scene
भगत सिंह के मुख्य अमर विचार और कथन
इंकलाब जिन्दाबाद,
अगर बहरों को सुनाना है तो आवाज बहुत तेज होनी चाहिए।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है।
Sarfaroshi Ki Tamanna (Sad) – Video Song | The Legend of Bhagat Singh | AR Rahman |
भगत सिंह जी की सम्पूर्ण जीवनी पढ़ने के लिए इस पुस्तक को एक बार खरीद कर जरूर पढ़े। एक आर्टिक्ल भगत सिंह जी का सम्पूर्ण जीवनी को लिख पाना संभव नहीं नहीं इसीलिए मैं आपको यह पुस्तक पढ़ने का सलाह दे रहा हूँ ।