क्या आप नींद पर काबू पाना चाहते हैं ? | Bhagavad Gita 1.24 | BG 1.24 |
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क्या आप नींद पर काबू पाना चाहते हैं ? | Bhagavad Gita 1.24 | BG 1.24 |

BG 1.24

सञ्जय उवाच
एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम् ॥ 24 ॥

शब्दार्थ

सञ्जयः उवाच – संजय ने कहा; एवम् – इस प्रकार; उक्तः कहे गये; हृषीकेशः – भगवान् कृष्ण ने; गुडाकेशेन – अर्जुन द्वारा; भारत– हे भरत के वंशज; सेनयोः– सेनाओं के; उभयोः – दोनों; मध्ये: मध्य में; स्थापयित्वा – खड़ा करके; रथ-उत्तमम् – उस उत्तम रथ को।

अनुवाद

संजय ने कहा- हे भरतवंशी! अर्जुन द्वारा इस प्रकार सम्बोधित किये जाने पर भगवान् कृष्ण ने दोनों दलों के बीच में उस उत्तम रथ को लाकर खड़ा कर दिया।

क्या आप नींद पर काबू पाना चाहते हैं ? | Bhagavad Gita 1.24 | BG 1.24 |

अभिप्राय

सबसे पहले जानते हैं कि उत्तम रथ का क्या मतलब हैं – एक तो इसका अर्थ यह हैं कि इसको देवताओं (अगनी देव) ने दिया हैं और दूसरे यह कि इस पर स्वयं भगवान श्रीं कृष्ण विराजमान थे। तो अर्जुन ने कहाँ कृष्ण से कि मैं देखना चाहता हूँ कौन – कौन लड़ने आया हैं। ये जो कम बुद्धिवाला दुर्योधन इसको सहायता करने कौन – कौन आया हैं (वह दुर्योधन से भी कम बुद्धि वाले होंगे।)

अगर कोई व्यक्ति आपको बोल रहा हैं कि देखो मेरे पास AK47 हैं और एक मंत्री को मारने जा रहा हूँ, तुम भी चलो मेरे साथ तुम भी देखना। अगर आप उसके साथ जाएंगे तो वह तो जेल में जाएगा लेकिन उसके साथ आप भी जायेंगे। ठीक दुर्योधन ऐसा ही कर रहा हैं खुद तो पाप और अधर्म कर रहा हैं भगवान और धर्म के सामने खड़ा होकर और शुभचिंतको को भी इस महापाप और महाधर्म में घसीट लिया। लेकिन उनलोगों तो समझाना चाहिए दुर्योधन पाप और अधर्म कर रहा हैं हमें इसका साथ नहीं देना हैं लेकिन वे लोग भी (भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, अस्वकथामा आदि ) अंधे के भाँति दुर्योधन के पीछे चल पड़े।

यहाँ पर एक शब्द का प्रयोग हुआ गुडाकेश। गुडा का मतलब हैं नींद और जो व्यक्ति नींद पर विजय प्राप्त कर ली वह गुडाकेश। नींद,आलस्य यह सब तमोगुण के श्रेणी में आता हैं। ऐसे देखा जाए तो अर्जुन पहले ही तमोगुण पर विजय प्राप्त कर ली हैं। और जिसने तमोगुण पर विजय प्राप्त कर लिया हैं वह तो चलेगा ही धर्म के मार्ग पर। और अर्जुन ने तमोगुण पर विजय कैसे प्राप्त की हैं – भगवान से मित्रता करके। यहाँ तक कि ब्रह्म लोक भी परमानेंट नहीं है एक दिन वह भी नष्ट हो जायेगा। इसीलिए हमें कृष्ण से मित्रता करनी चाहिए। भगवान तो कब से हाथ फैलाए खड़े हैं लेकिन हम ही अपना हाथ नहीं बढ़ा रहे।

अर्जुन ने स्वीकार किया कि आप ही परम भगवान हैं तो हमें भी स्वीकार करना चाहिए की कृष्ण परम भगवान हैं।

|| हरे कृष्णा ||

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