होली में चिकेन और शराब कहाँ से आया?
हमारे सबसे पवित्र त्यौहारों में एक त्यौहार हैं होली का त्यौहार, लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं हमारे इस पवित्र त्यौहार होली में मांस , शराब और भाभी का चलन कहा से आया।
क्या आपको मालूम हैं कि होली क्यों मनाया जाता हैं ? इसका इतिहास आपको पता हैं , आपका जवाब होगा नहीं ! क्योंकि मुझे पता हैं इस देश के 70% लोगों को ये पता ही नहीं हैं कि होली क्यों मनाया जाता हैं ?
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ये होली का त्यौहार माँ दुर्गा की नवरात्र से कम नहीं हैं , क्या आपलोग इस महीने में मांस खाना पसंद करेंगे? आपका जवाब होगा नहीं! ये होली का त्यौहार सावन के महीने से कम नहीं हैं , क्या आपलोग इस महीने में मांस खाना पसंद करोगे। फिर से आपका जवाब होगा नहीं !
तो आज मैं आपलोगों के आखँ से पट्टी हटा ही देता हूँ। होली क्यों मनाया जाता हैं ? आप सब ने विष्णुपुराण ग्रंथ का नाम तो सुना ही होगा। इस ग्रन्थ के अनुसार आज से बहुत साल पहले एक राजा हुआ करता था। जिसका नाम था हिरण्यकश्यप ये शुरूआती दिनों में अच्छा शासक हुआ करता था।
लेकिन ये भी सच्चाई हैं कि लोभ हर इंसान के अंदर होता ही हैं। फिर हिरण्यकश्यप ने घोर तपस्या की और ब्रम्हा जी को अपने घोर तपस्या से प्रसन्न कर लिया और उन से वरदान माँगा कि मेरी मृत्यु इस धरती के किसी भी जीव से न हो , नहीं किसी अस्त्र – सस्त्र से मेरी मृत्यु हो यानि की सीधा शब्दों म समझाए तो धरती पर जितने भी हथियार हैं उससे उसकी मृत्यु नहीं हो सकती थी। हिरण्यकश्यप ने फिर ब्रह्मा जी से वरदान माँगा कि मेरी मृत्यु न धरती पर हो, नहीं जल में हो और नहीं आकाश में हो। हिरण्यकश्यप ने ऐसा वरदान मांग लिया कि वरदान देने वाले भी उसको मार नहीं सकते थे।
अब हिरण्यकश्यप की मृत्यु नहीं हो सकती थी। और हम सब जानते हैं कि जिसकी मृत्यु न हो उसको अमर कहते हैं और जो अमर होता हैं वही सत्य होता हैं और जो सत्य होता हैं वही भगवान होता हैं।
इसिलिय हिरण्यकश्यप ने खुद को भगवन घोषित कर दिया और लोग इसे भगवन भी मान लिए क्योकि इसे वरदान मिलने के बाद बहुत क्रूर हो चूका था जो इसे भगवन नहीं मनाता उसे ये मार देता था। लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद इसे भगवन मनाता ही नहीं था। हिरण्यकश्यप ने बहुत कोशिश किया प्रह्लाद को मारने का लेकिन वह हर बार असफ़ल रहा।
फिर हिरण्यकश्यप अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि तुम इसे अग्नि कुंड में जला कर राख कर दो। (होलिका को ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था क़ि आग तुम्हें कभी भी नहीं जला सकती ) इसी वरदान के घमंड में चूर होलिका अपने भतीजे को गोद में लेकर अग्नि कुंड में प्रवेश कर जाती है।
लेकिन इसका वरदान इस वक्त काम नहीं करता है होलिका खुद अग्नि में जलकर राख हो जाती है और प्रह्लाद को कुछ भी नहीं होता है। यही कारण है कि होली से के दिन से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और उसके बाद रंगो का त्यौहार होली बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।
इस खुशी में इस दिन होलिका का दहन करने के तत्पश्चात रंगो का त्यौहार होली मनाया जाता हैं।
ये दिन भगवान विष्णु और उनके सबसे बड़े भग्त प्रह्लाद को पूजा – अर्चना करने का दिन होता हैं। न की मांस , मदिरा और भाभी को पूजा करने का दिन होता हैं।
कहने के लिए ही हम सब सनातन(हिन्दू) हैं। लेकिन सनातन धर्म का एक भी गुण हमारे अंदर नहीं हैं। इतने पवित्र त्यौहार को अपवित्र बनाने वाले आप ही लोग हो। इस दिन मांस, मदिरा खाने पिने से हमारे सनातन धर्म का अपमान होता हैं , हमारे भगवान विष्णु का अपमान होता हैं।
मांस मदिर के साथ स्वयं भाभी इसमें कब इन्क्लूड हो गई मुझे आज तक आज तक समझ नहीं आया। हमें अपने आप को सुधारने की बहुत आवश्यकता हैं। होली की सही मतलब समझने की जरूरत हैं।
होली का त्यौहार हम सब इसलिए मानते है क्योंकि इस दिन असत्य पर सत्य का विजय हुआ था। और विजय का ख़ुशी एक दूसरे को रंग लगा के मानते हैं। इसमें कही भी मांस , मदिरा का ज़िक्र नहीं हैं ,फिर होली के दिन इससे यह देश अपने भोजन में क्यों शामिल कर लिया। और नहीं इस में कही भाभी का जिक्र हैं फिर इस दिन लोगों को भाभी से इतना लगाव क्यों हो जाता हैं , मुझे ये सारी बातें समझ नहीं आती हैं। आपलोग अपने त्यौहार को सही तरीक़े से मानना सीखिए।
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धन्यवाद !
well and good brother , thank for putting the facts .