आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में 4 ऐसे गलतियों का वर्णन विस्तार से किया हैं जिसे अपने दुशमन के सामने नहीं करना चाहिए।

नीति शास्त्र में कई ऐसे गलतियों का वर्णन मिलता हैं जो आपको भूल से भी अपने शत्रु के सामने नहीं करनी चाहिए। 

हर इंसान के पास कोई न कोई कमजोरी होता हैं। अगर आपके कमजोरी के बारे में किसी दूसरे व्यक्ति को पता चल जाए

1. कमज़ोरी 

या आपके दुशमन को ही पता चल जाए तो वह आपके कमजोरी का गलत फायदा उठा सकता हैं।

इसीलिए आपको अपना कमजोरी किसी को भी नहीं बताना चाहिए, चाहे ओ आपकी पत्नी या फिर आपके बच्चे ही क्यों न हो। 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपने दुशमन से हारने के बाद कभी भी अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए। 

2. हार न माने

ऐसा आपको बिलकुल भी नहीं सोचना चाहिए कि आपका दुशमन ज्यादा ताकतवर हैं और आप कमजोर हैं। 

ऐसे स्थिति में शांत रहकर धैर्य से काम ले और योजना बनाए । 

एवं कोशिश करते रहे की दुश्मन पर विजय कैसे प्राप्त किया जा सकता हैं

 कभी भी प्रयास करने से बिलकुल भी न डरे। 

कभी - कभी व्यक्ति अपने दुशमन को कमजोर और लाचार समझ लेता हैं जिसके कारण उसे युद्ध में हार का सामना करना पड़ता हैं।

3. दुशमन को न समझें कमजोर

इसीलिए अपने दुशमन को न कभी लाचार समझने का भूल करे और नाही कभी कमजोर। क्योंकि दुशमन तो सिर्फ दुशमन होता हैं।

अपने ताकत के घमंड में आकर कभी भी अपने दुशमन को कम ताकतवर समझकर उसे ढील नहीं देना चाहिए

यह छोटी सी गलती आपको हार, पराजय के दलदल में धकेल सकती हैं।

चाणक्य नीति: हर व्यक्ति को ये 3 गुण गधे से सीखना चाहिए।