आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र के छठवें अध्याय में बताया हैं कि हर इंसान में गधे से ये तीन गुण होने चाहिए।

आमतौर पर लोग गधा शब्द किसी को गाली देने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

 लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि गधे में जो तीन गुण पाए जाते हैं ओ हर इंसान के पास नहीं होता। 

इसीलिए हमें गधे से ये तीन गुण सीखनी चाहिए। और इस बाद पर आचार्य चाणक्य भी जोड़ देते हैं। 

1. आलस्य को त्याग करें।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह गधा अधिक थका होने के बावजूद भी बोझ ढोते रहता हैं, आलास नहीं करता।

ठीक इसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति को कभी भी आलस्य का शिकार नहीं होना चाहिए। 

 क्योंकि जो अलसा करता हैं उसे कभी भी सफ़लता प्राप्त नहीं होती। इसीलिए आलस को त्याग देना चाहिए। 

2. बदलते मौसम से बिल्कुल भू न डरे।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गधा जिस तरह हर स्थिति में हर तरह के मौसम में काम कर लेता हैं।

 ठीक इसी प्रकार हर इंसान को हर मौसम में चाहे सर्दी हो या गर्मी काम करते रहना चाहिए। 

यदि कोई व्यक्ति ज्यादा सर्दी या ज्यादा गर्मी के वजह से अपने कर्तव्य रूपी काम से तनिक भी विचलित होता हैं 

तो वह अपने लक्ष्य से भटक सकता हैं। इसलिए अपने काम को हर मौसम में करते रहना चाहिए इसलिए अपने काम को हर मौसम में करते रहना चाहिए।

आचार्य चाणक्य ने बताया हैं कि जिस प्रकार गधा संतुष्ट होकर कही भी चर लेता हैं। ठीक इसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति को सदा संतोष रखना चाहिए। 

3. संतोष के साथ आगे बढे।

हर व्यक्ति को फल का चिंता किये बिना निरंतर अपने कर्तव्य का पालन करते रहना चाहिए। 

 भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने भी कहाँ हैं कि व्यक्ति को फल के चिंता किये बिना निरन्तर अपने कर्म को करते रहना चाहिए।    

इन घरों में खुद चलकर आता हैं अपार धन, हमेशा रहता माँ लक्ष्मी का वास।