शायद आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि वैलेंटाइन किसी दिन का नहीं बल्कि एक व्यक्ति का नाम था ।

चलिए इसका पूरा इतिहास जानते हैं कि वैलेंटाइन क्यों मनाया जाता हैं और इसका क्या इतिहास हैं? 

वैलेंटाइन किसी दिन का नहीं बल्कि एक पादरी(संत) का नाम था जो कि रोम में रहा करता था । 

उस समय रोम पर एक बहुत ही क्रूर और दुष्ट राजा क्लोडिअस का शासन था ।  

क्लोडिअस एक बहुत ही शक्तिशाली राजा बनना चाहता था, जिसके के लिए वह एक बहुत बड़ी सेना बनाने की तैयारी कर रहा था ।  

क्लोडिअस के दिमाग में यह विचार आया कि जो सैनिक अकेला हैं, वह विवाहित सैनिक के मुक़ाबले में ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावशाली सैनिक हैं ।  

क्लोडिअस यह सोच रहा था कि जिस सैनिक के पास उसकी प्रेमिका या पत्नी हैं वह युद्ध ठीक से नही कर सकता क्योकि उसे हमेशा उसकी प्रेमिका या पत्नी की याद सताती रहेगी । 

इस सोच के कारण उस सैनिक का दिन पर दिन शक्ति घटती जाएगी ।  

और एक समय ऐसा आएगा कि वह अपने प्रेमिका या पत्नी के विरह में शक्तिविहीन हो जाएगा,  

और एक शक्तिविहीन सैनिक का दल कभी कोई युद्ध नहीं जीत सकता । ऐसे में मेरा (क्लोडिअस) शक्तिशाली राजा बनने का सपना अधूरा रह जाएगा।  

फिर क्या क्लोडिअस पूरे रोम में यह घोषणा करावा दिया कि कोई भी सैनिक शादी नहीं करेगा । 

जो सैनिक शादी करेगा उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी यहाँ तक कि फांसी भी । राजा के इस घोषणा से सारे सैनिक में हरकंप मच गई ।  

सबको पता था कि यह फैसला गलत हैं लेकिन राजा क्लोडिअस का सैनिको के बीच इतना खौफ था कि किसी भी सैनिक कि हिम्मत नहीं हुई उसकी विरोध करने की।  

तभी इसी बीच एक पादरी आता हैं जिसे हम हिन्दी में संत कहते हैं । उस पादरी का नाम था वैलेंटाइन (Valentine)। 

आगे कि कहानी पढ़े ।