जब आप अपने भावनाओं को निंयत्रित करना सिख जायेंगे तो इस बात की संभावना कम होगी कि आप अपनी भावनात्मक स्थिति दूसरों के सामने प्रकट करेंगे।
3. अपने परिणाम को स्वीकार करें।
परिणाम चाहे सकारात्मक हो या नकारात्मक उसे स्वीकार करे। कभी भी नकारात्मक परिणाम का दोषी किसी और को न ठहराए।
अगर आप यह आदत डालते हैं तो कभी भी किसी भी प्रकार के परिणाम का चिंता नहीं होगा।
ऐसे लोगों पर आँख बंद करके कभी भी न करे विश्वास।