आपको बता दे कि अयोध्या नगरी का इतिहास त्रेता युग से भी पुराना हैं।  भगवान राम के समय में अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी हुआ करती थी।  

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अयोध्या शब्द संस्कृत की क्रिया युद्ध लड़ना या युद्ध छेड़ना का नियमित रूप में बना व्युतपति हैं। 

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भगवान राम सम्पूर्ण राक्षसों का विनास कर अपने भाइयों सहित जल समाधी लेकर वैकुण्ड धाम पहुंच गए। भगवान राम के जाने के बाद अयोध्या उजाड़ हो गई।  

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चारों तरफ सन्नाटा छा गया। लेकिन इस सन्नाटे को दूर करने के लिए भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुनः राजधानी अयोध्या का पुर्ननिर्माण करवाया। 

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भगवान राम के भव्य मंदिर बनवाये। इसके बाद सूर्यवंश के अगले 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकारार रहा।   

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एक बार फिर महाभारत युद्ध के बाद अयोध्या उजाड़ हो गई लेकिन उस समय भी भगवन राम के जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था एवं लगभग 14वीं सदी तक सुरक्षित रहा। 

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अब वह समय नजदीक था जब राम जन्मभूमि पर एक लम्बे समय तक चलने वाल विवाद छिड़ने वाला था।  

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यह बात हैं साल 1527-28 की, बाबर के आदेश पर राम मंदिर को तोड़कर ठीक उसी स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर दिया गया।  

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आपको क्या लगता हैं जब मंदिर को मुस्लिम आक्रांताओ द्वारा तोड़ा गया होगा तब लोगों ने इसका विरोध नहीं किया होगा।  

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तो आपके जानकरी के लिए बता दे कि जितनी मंदिर बनाने में ईट नहीं लगी थी उस से कही अधिक तो हिन्दुओ ने अपने सीस कटवा लिए मंदिर को बचाने के लिए  

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फिर भी वो मंदिर बचाने में असमर्थ रहे। तब से लेकर आज तक हम राम मंदिर का लड़ाई लड़ रहे।  

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6 दिसंबर 1992 को राम जन्मभूमि पर बनाई गई मस्जिद को बलपूर्वक ध्वस्त कर दिया गया और वही पर एक अस्थाई राम मंदिर का निर्माण कर दिया गया।  

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