चाणक्य नीति : मित्रता टूटने का कारण बनती हैं ये कारण।

आचार्य चाणक्य ने अपने चाणक्य नीति में मित्रता के बारे में बहुत कुछ लिखा हैं।

तो चलिये मित्रता के बारे में कुछ ऐसी बाते जानते हैं जो शायद ही आप जानते होंगे। 

आचार्य चाणक्य कहते हैं जो व्यक्ति सर्दी - गर्मी, अमीरी - गरीबी, प्रेम - घृणा इत्यादि परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होता हैं, 

और तटस्थ भाव से अपना धर्म निभाता हैं वही सच्चा ज्ञानी हैं और मित्र भी। 

 वाद - विवाद और धन के लिए संबंध बनाना , मांगना, अधिक बोलना, ऋण लेना, आगे निकले के लिए चाह रखना,

ये सब बाते मित्रता के टूटने में कारण बनते हैं। 

आलसी इंसान को विद्या कहाँ, विद्याविहीन को धन कहाँ, धन विहीन को मित्र कहाँ और मित्रविहीन को सुख कहाँ,

अथार्त जीवन में इंसान को यदि कुछ प्राप्त करना हैं तो आलस वाले प्रवृति को त्याग करना होगा।   

चाणक्य नीति: ऐसे समय में सच बात भी नहीं बोलना चाहिए।