घर तो गृहणी के कारण ही घर कहलाता हैं। बिना गृहणी के घर किसी सुनसान जंगल के सामान होता हैं।
यदि बात सच हो और उसे सुनने पर किसी को कष्ट होता हो तो उस सच बात को नहीं कहना चाहिए।
या ऐसे समय पर कहता जब ओ बात नहीं कही जानी चाहिए। कोई ऐसा बात कहता हैं जो अशुभ हैं
कहा गया हैं कि यदि कोई अहंकार के कारण क्रोध से लोभ से या डर से गलत फैसला लेता हैं तो उसे नरक को जाना पड़ता हैं।