आचार्य चाणक्य ने बताया कि जीवन दो चीजे ऐसी होती हैं जिनके कमी होने पर कभी भी नाराज या फिर दुःखी नहीं होना चाहिए।

ये चीजे इंसान को भविष्य में दोगुना लाभ देता हैं। तो चलिए जान लेते हैं उन दो चीजों के बारे में।

1. प्रसंशा में कमी

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर आपने पुरे मेहनत के साथ, पुरे ईमानदारी के साथ जीत हासिल की हैं, 

लेकिन फिर भी आपको वो दर्जा या तारीफ न मिले जिसके आप हकदार थे। तो इस बात से आप को कभी भी दुखी नहीं होना चाहिए। 

हालांकि एक पल के लिए आपको बुरा तो लगेगा, अफसोस भी होगा। लेकिन भविष्य में यही मेहनत आपको उचाईयों तक लेके जायेगा।

2. सुपात्र दान

कहा जाता हैं कि दान से बड़ा कोई धर्म नहीं हैं। हर इंसान अपने - अपने क्षमता के अनुसार दान करता हैं।

इस तरह आप अपने क्षमता अनुसार जितना हो सके सच्चे मन से दान करे।

दान मतलब जो निःस्वार्थ भाव से दिया जाता हैं, जिसे देने में आनंद की अनुभूति होती हैं उसे दान कहते हैं।

यह सोचकर कभी भी दुःखी न हो कि आपके पास थोड़ा ही दान करने की क्षमता हैं 

क्योंकि निःस्वार्थ भाव से यदि चावल की एक दाना भी दान किया जाये तो हजारों गुणा दान के बराबर होता हैं। 

इसीलिए दान जैसे पुण्य कार्य करने में कभी भी संकोच नहीं करना चाहिए। 

और सबसे बड़ी बात दान करने के बाद उसके बदले में कुछ पाने की इच्छा बिल्कुल भी न रखे।  

चाणक्य निति: ऐसे लोगो का मदद करना पड़ सकता हैं भारी।