आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक में बताया हैं कि कुछ ऐसे लोग होते जिनकी मदद बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए। तो चलिए उस श्लोक के बारे में जान लेते हैं।

मूर्खाशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। दु:खिते सम्प्रयोगेण पंडितोऽप्यवसीदति

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि नशे की लत वाले लोगों कि कभी भी मदद नहीं करनी चाहिए। नशेड़ी लोगो के पास ईमान नहीं होता।

1. नशे की लत वाले लोग।

वे नशे के लत के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं।

ऐसे लोगों नशे के लिए किसी को भी हानि पंहुचा सकते हैं। यही नहीं इंसान नशे के लत में सही और गलत में भेद करना भूल जाता हैं।

इसीलिए ऐसे नशेड़ी लोगो की मदद नहीं करना चाहिए।

अगर आप ऐसे किसी इंसान को जानते हैं जिसका चरित्र ख़राब हो, चरित्रहीन हो तो ऐसी व्यक्ति से हमेशा दुरी बना के ही रखना चाहिए।

2. बुरे चरित्र वाले लोगो।

 ऐसे लोगो की भलाई करना या किसी भी तरह से मदद करना हमारे लिए नुकशानदायक साबित होगा।

ऐसे लोगो के सम्पर्क में रहने से समाज और घर में व्यक्ति को अपमानित होना पड़ता हैं। इसीलिए ऐसे लोगो से हमेशा दुरी बना के ही रखना चाहिए।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं और हमेशा दुखी रहता हैं और अपनी दुःख भरी कहानियां सबसे सुनाता रहता हैं।

3. दुखी रहने वाले लोग।

 ऐसे लोगो से हमेशा दुरी बना के रखना चाहिए। इस तरह के लोगो की भलाई या मदद करने पर भी हमें दुःख ही मिलता हैं।

ऐसे लोगों का जीवन कितना भी अच्छा क्यों न हो जाये ये हमेशा दुखी ही रहते हैं।

 ऐसे लोग अपने सुख - शांति, धन - दौलत से कभी भी खुश नहीं होते और हमेशा दुःख का रोना रोते रहते हैं।

 ऐसे लोग दूसरे कि सुख - शांति, धन - दौलत को देखकर ईर्ष्या भी करते हैं। इसीलिए ऐसे लोगो से हमेशा दुरी बना के रखना चाहिए।

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