रेहाना का सपना डॉक्टर बनना था न कि आईएएस ऑफिसर।
अच्छे नंबर से 12वीं पास करने के बाद रेहाना ने शेर-ऐ -कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में दाख़िला लिया।
लेकिन उन्हें अपने इंटर्नशिप के दौरान एहसास हुआ कि जीवन में कितना कुछ किया जा सकता हैं।
बस इसी आईडिया के साथ रेहाना ने नीट पीजी में एडमिशन नहीं लिया और UPSC के तैयारी में जुट गई।
ठीक इसी प्रकार रेहाना का जीवन दुःख, तकलीफ़ और संघर्ष में बिता।
रेहाना केवल 14 की थी तब इनके पिता का निधन हो गया। फिर रेहाना उनके छोटे भाई का जिम्मेदारी उनकी माँ पर आ गई।
पिता के मृत्यु के बाद उनके परिवार के सामने कई तरह के समस्या आई, लेकिन उनलोगों उन समस्याओं से डट कर सामना किया।
रेहाना को उनके छोटे भाई का पूरा साथ मिला।
रेहाना 2017 में अपना पहला एटेम्पट दिया लेकिन तैयारी बेहतर न होने के कारण पहली बार में सफलता ने मिल सका।
फिर रेहाना ने 2018 में दूसरी बार UPSC का एग्जाम दी और दूसरी अटेम्प्ट में 187 रैंक लाकर जम्मू डिवीज़न के पूंछ की पहली महिला आईएएस बनी।