हर व्यक्ति को युवावस्था के महत्त्व को समझाना चाहिए और अपने लक्ष्य के प्रति गंभीर होना चाहिए।
युवावस्था के दौरान वयक्ति को अपने भविष्य को लेकर सजग रहना चाहिए। और सही रणनीति बनाकर अपने लक्ष्य के ओर कदम बढ़ाना चाहिए।
आचार्य चाणक्य के अनुसार युवाओं के जीवन में आलास का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। आलास सिर्फ आपको बर्बाद नहीं करता बल्कि आपको पूरी से पंगु बना देता हैं।
इसीलिए किसी भी युवा को या फिर किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन से आलस नामक राक्षस को हमेशा के लिए त्याग देना चाहिए।
आज के समय में हर दुसरा युवा शराब के नशा या फिर हस्तमैथुन के नशा से ग्रसित होता हैं।
कोशिश करने के बाद कुछ युवा शराब या फिर अन्य प्रकार के नशा को छोड़ देता हैं लेकिन हस्थमैथुन एक ऐसा नशा जिसे ओ चाहकर भी नहीं छोड़ पाता हैं।
हस्थमैथुन एक ऐसा रोग जो युवाओं के सकल - सूरत, मस्तिष्क, सेहत, सोचने समझने के क्षमता को तहस - नहस कर देता हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्री के मन की सुंदरता देखनी चाहिए, तन की सुंदरता को बिल्कुल भी नहीं देखनी चाहिए।
यदि कोई डॉक्टर बोले के हस्तमैथुन तो नॉर्मल हैं तो उसके बातों पर बिलकुल भी विश्वास न करे क्योकि हस्तमैथुन कभी नॉर्मल नही होता ।