आचार्य चाणक्य अपने श्लोक में व्यक्ति के तीन गुणों के बारे बताया, ये तीन गुण जिस व्यक्ति के पास होता हैं वह श्रेष्ट होता हैं।
कोकिलानां स्वरो रूपं नारी रूपं पतिव्रतम्। विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम् ।।
1. वाणी:
एक श्रेष्ठ और शिक्षित व्यक्ति कि आवाज़ कोयल के समान मधुर होती हैं।
उसका व्यवहार भी इसी प्रकार का रहता हैं और यही उस व्यक्ति का अनमोल आभूषण हैं।
ऐसे व्यक्ति अपने समाज के साथ - साथ अपने कुल का नाम भी रौशन करते हैं।
2. ज्ञान:
आचार्य चाणक्य ने बताया हैं कि एक कुरूप व्यक्ति का आभूषण उसका ज्ञान होता हैं।
एक ज्ञानी व्यक्ति समाज में हर पद पर सम्मान प्राप्त कर सकता हैं।
और एक ज्ञानी व्यक्ति अपने ज्ञान के दम पर हर तरह के सफलता प्राप्त कर सकता हैं।
इसीलिए इंसान को शारीरिक सुंदरता से अधिक ज्ञान की सुंदरता बढ़ाने के लिए कार्य करना चाहिए। ज्ञान व्यक्ति का सबसे बड़ा आभूषण हैं।
3. क्षमा स्वाभाव:
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति में क्षमा भाव होता हैं वह एक तपस्वी के भाँति तेजवान होता हैं और यह उनकी बेशकीमती आभूषण हैं।
इसीलिए क्षमा और करुणा का भावना हर व्यक्ति के भीतर होना चाहिए।
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