आज हम आचार्य चाणक्य के एक श्लोक का विस्तार से वर्णन करने वाले हैं।

जिसे जानकर आप किसी भी व्यक्ति के अच्छाई या बुराई को आसानी से जान सकते हैं।

यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनैः । तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा ॥

इस श्लोक का मतलब हैं " जिस प्रकार सोने की परख गर्म करके, घिस - पीटकर तथा काट कर की जाती हैं

ठीक इसी प्रकार एक व्यक्ति कि पहचान त्याग, आचरण, गुण तथा कर्मो के द्वारा किया जाता हैं।"

किसी भी व्यक्ति को परखने का सबसे पहला तरीका हैं उसके द्वारा किया गया त्याग।

1. त्याग

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान दूसरों के दुःखी के वक्त में अपना सुख त्याग दे तो समझ ले कि वह अच्छा इंसान हैं।

वही जो व्यक्ति आपके सामने खुद को सबसे अच्छा बताता हैं और समय आने पर सबसे पहले भाग जाता हैं

तो इसका मतलब स्पष्ट हैं कि वह व्यक्ति आपके जीवन में किस काम के लायक नहीं हैं।

किसी व्यक्ति को जानना हो तो उसके आचरण को देखे। 

2. आचरण

किसी भी व्यक्ति के आचरण को देखकर आप बड़े आसानी से पता लगा सकते कि उसका स्वभाव कैसा हैं।

क्योंकि जो इंसान अच्छा होता हैं वह हर तरह के बुराइयों से दूर रहता हैं।

इसके अलावा वह दूसरे किसी व्यक्ति के लिए मन में गलत भावनाएं नहीं रखता हैं।

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