आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक में कहाँ हैं कि जो व्यक्ति निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का सहारा लेता हैं,
अर्थात जो व्यक्ति जीवन में सही को छोड़कर गलत का सहारा लेता हैं तो ऐसे में सही भी ख़त्म हो जाता हैं।
समझदारी इसी में हैं कि जो वस्तु हमारे पास हैं, उन्ही से संतुष्ट रहना चाहिए। ऐसा करने से आपका जीवन सुखमय हो जायेगा।