आचार्य चाणक्य की नीतियाँ इस स्वार्थी संसार की सच्चाई बयां करती हैं।

आचार्य कहते हैं कि मनुष्य अपने ही गलतियों से सफलता को असफलता में परिवर्तित कर देता हैं। 

लालच वह बुरी बला हैं जो मनुष्य को मरते दम तक साथ नहीं छोड़ती हैं। इस पर काबू पाना बहुत ही जरुरी हैं। 

आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक में कहाँ हैं कि जो व्यक्ति निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का सहारा लेता हैं,

उसका निश्चित भी नष्ट हो जाता हैं और अनिश्चित तो स्वयं नष्ट होता ही हैं। 

अर्थात जो व्यक्ति जीवन में सही को छोड़कर गलत का सहारा लेता हैं तो ऐसे में सही भी ख़त्म हो जाता हैं। 

 व्यक्ति सफल तभी होता हैं जब रणनीति काफी तगड़ी हो। 

 आचार्य चाणक्य कहते कि जो व्यक्ति वास्तव में सही और गलता का परख करना जनता हैं

तो उसे दुनिया पर राज करने से कोई नहीं रोक सकता। 

जिस कार्य का लक्ष्य निर्धारित हो उस काम को सबसे पहले करना चाहिए। 

क्योकि उसका नतीजा कुछ हद तक आपके पक्ष में हो सकता हैं। लालच का त्याग करने वाले हर काम में कामयाब होते हैं।

समझदारी इसी में हैं कि जो वस्तु हमारे पास हैं, उन्ही से संतुष्ट रहना चाहिए। ऐसा करने से आपका जीवन सुखमय हो जायेगा।  

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