अहंकार और सँस्कार : अहंकार दूसरे को झुकाकर खुश होता हैं जबकि सँस्कार खुद को झुकाकर खुश होता हैं।
शत्रु हो या रोग उनका समूल नाश करना ही बुद्धिमता हैं।
एक बार फैसला ले लिया तो उस पर कोई चर्चा नहीं क्योंकि बार - बार चर्चा करने से आत्मविश्वास ख़त्म हो जाता हैं।
सफल होने के लिए व्यवहार में बच्चा, काम में जवान और अनुभव में वृद्ध होना जरुरी हैं।