अधिकतर युवा अपने जीवन में सफ़लता पाने के लिए चाणक्य द्वारा बताए गए नीतियों का पालन करते हैं।
स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः । स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान्सर्वत्र पूज्यते ।।
स्वगृहे पूज्यते मूर्खः अथार्त मुर्ख व्यक्ति को केवल उसके घर में सम्मान और आदर प्राप्त होता हैं।
स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः । अथार्त एक मुखिया का आदर सम्मान और पूजा केवल उसके गावं में ही होता हैं।
स्वदेशे पूज्यते राजा अथार्त एक राजा को केवल उसके राज्य और उसके देश में ही पूजा जाता हैं,
विद्वान्सर्वत्र पूज्यते ।। अथार्त एक विद्वान व्यक्ति की आदर और सम्मान पुरे संसार में होती हैं पूरा संसार उसकी पूजा करता हैं।
इसीलिए जीवन में कभी भी ज्ञान से दूर नहीं भागना चाहिए।
काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमतां । व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ।