चाणक्य नीति: किसी को अपना मित्र बनाने से पहले ये बाते जान ले।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मित्रता बराबरी वालों से करना ही ठीक रहता हैं। 

 बुरे चरित्र वाले, बिना किसी कारण के दूसरों को हानि पहुंचाने वाले और अशुद्ध स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो मित्रता करता हैं, 

वह व्यक्ति बहुत जल्द ही बर्बादी के रास्ते पर आ जाता हैं। 

हर व्यक्ति को कुसंगति से हमेशा बचना चाहिए। 

बचपन में बच्चे को जैसी शिक्षा दी जाती हैं उनका विकास उसी प्रकार होता हैं। 

इसीलिए हर माता - पिता का यह कर्तव्य बनता हैं कि अपने बच्चे को अच्छे रास्ते पर चलना सिखाए।

जो मित्र आपके सामने बड़ी - बड़ी बाते करता हो, चिकनी चुपड़ी बाते करता हो और आपके पीठ पीछे कार्य को ख़राब कर देता हो,

ऐसे दोस्तों से दुरी बना लेना चाहिए या त्याग  देने में ही भलाई हैं। 

ऐसे दोस्त उस बर्तन के सामान होते हैं जिनके ऊपर के हिस्से में दूध लगा हैं लेकिन अंदर विष भरा हुआ हैं।

ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहाँ जा सकता हैं जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके। और ऐसी पत्नी व्यर्थ हैं जिस से किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो।  

जिंदगी में स्त्री हो या पुरुष ये काम किया तो बर्बादी निश्चित हैं।