चाणक्य नीति: जिस में होती हैं ऐसी आदत उस व्यक्ति के बिगड़े काम भी बन जाते हैं।

आचार्य चाणक्य ने मन को सुख और दुःख का कारण माना हैं। 

आचार्य कहते हैं जो व्यक्ति अपने और इच्छाओं पर नियंत्रण कर लेता हैं उसके जीवन में सुख ही सुख होता हैं। 

आचार्य आगे कहते हैं मन बहुत चंचल होता हैं। मन के वश में रहने वाला व्यक्ति जीवन और मौत के चक्र से कभी मुक्त नहीं हो सकता। 

वही जो व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण कर लेता हैं उसके बिगड़े काम भी बन जाते हैं। 

क्योंकि वह सोच समझकर और समझदारी पूर्वक अपने काम को करता हैं। 

जिस व्यक्ति का मन अशांत रहता हैं वह तमाम सुविधाएं होने के बाद भी सुखी नहीं रह पाता हैं।

आचार्य कहते हैं कि मन को एकाग्र करने से न केवल सफलता बल्कि एकाग्र मन से ही प्रभु की प्राप्ति होती हैं।

मन शांत और नियंत्रण रहेगा तो व्यक्ति बड़ी से बड़ी समस्या का हल बड़े आसानी से निकाल लेगा। 

भगवन श्रीं कृष्ण भी भगवद्गीता में कहते कि मन को आने वश में करना अत्यंत आवश्यक हैं।  

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