आचार्य चाणक्य से आज हम सीखने वाले हैं कि व्यक्ति को किन बातों को हमेशा गुप्त रखना चाहिए। 

आचार्य चाणक्य की वह इस श्लोक में छुपा हुआ हैं।

विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्। कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ।।

इस श्लोक में आचार्य कह रहे हैं कि कुमित्र पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए लेकिन मित्र पर भी आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए।

ऐसा इसलिए की यदि आप दोनों में झगड़ा हो गया या आप से क्रोधित हो गया तो वह आपकी गुप्त राज सब के सामने उजागर कर सकता हैं।  

इसीलिए अपने गुप्त बातो को हमेशा छुपा कर रखना चाहिए और इसे अधिक लोगों से साँझा नहीं करना चाहिए। 

मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्। मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्य चापि नियोजयेत् ।।

इस श्लोक में आचार्य कह रहे हैं कि मन में सोचे काम को मुँह से बाहर नहीं निकलना चाहिए।

इसे हमेशा मंत्र के सामना गुप्त रखकर उसकी रक्षा करना चाहिए। 

साथ ही इस पर काम करते समय इसके बारे में अधिक लोगो को पता नहीं होनी चाहिए।

इस तरह से किया गया काम ही व्यक्ति सफल इंसान बनता हैं।  

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