एक ऐसी ही संघर्ष की कहानी हैं जयपुर राजस्थान के रहने वाले शुभम गुप्ता की। इनकी संघर्ष की कहानी हर यूवाओ के लिए पप्रेरणा के सागर के सामान हैं।
UPSC परीक्षा 2018 में छठी (6वां ) रैंक प्राप्त करने वाले शुभम आज के समय में महाराष्ट्र गढ़चिरौली जिले में कलेक्टर हैं।
वहां पर इनके पिता ने जूता - चप्पल बेचने की दुकान खोली। शुभम स्कूल जाने के लिए 70 किलोमीटर की दुरी तय किया करते थे।
महाराष्ट्र के दहाणु रोड से 70 से 80 किलोमीटर पर स्थित गुजरात के वापी में स्वामी नारायण गुरुकुल में पढ़ने के लिए बस से जाया करते थे।
शुभम ने बात चित में ही बताया कि जहाँ हमलोग रहते थे वहां हिंदी या इंग्लिश माध्यम के एक भी स्कूल नहीं था। यहाँ सिर्फ मराठी स्कूल थे।
और मराठी स्कूल में प्रवेश के लिए मराठी आना अनिवार्य था। और मेरे लिए मराठी सीखना बड़ी ही मुश्किल था। इसीलिए मेरे पिता ने मेरा दाखिला गुजरात के वापी में करवाया। और मैंने 8वीं से 12वीं तक की स्वामी नारायण गुरुकुल से ही की।
शुभम गुप्ता वापी से पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे के पढ़ाई के लिए दिल्ली आगए। शुभम ने UPSC की तैयारी साल 2015 में शुरू की। लेकिन पहले प्रयास में सफल न हो सके। शुभम को पहले प्रयास में असफलता का सामना करना पड़ा।
वर्ष 2016 में शुभम ने दूसरी बार UPSC का परीक्षा दी। और दूसरी एटेम्पट में इनको सफलता मिल गई। पुरे देश भर में शुभम 366वीं रैंक लाए और इनका चयन भारतीय लेख परीक्षा एवं लेख सेवा (Indian Audit And Account Services) में हो गया।
सरकारी नौकरी मिलने के बाद शुभम गुप्ता ने UPSC की तैयारी छोड़ी नहीं बल्कि तैयारी जारी रखा। 2017 में फिर से UPSC का एग्जाम दिए, लेकिन इस बार तो ये प्रिलिम्स एग्जाम भी पास नहीं कर पाए।
फिर भी इन्होंने हार नहीं माना और 2018 में चौथी बार कोशिश की और पुरे देश भर 6वां रैंक हासिल किया।