अक्सर ये कहाँ जाता हैं कि हिंदी मिडिम वाले छात्रों के लिए UPSC परीक्षा पास करना काफी मुश्किल होता हैं।
और ठीक इसके विपरीत प्रीती हूडा ने हिंदी को ही अपना आधार बनाया और आज एक आईएएस के रूप सेवा दे रही हैं।
इसी के चलते प्रीती के माता पिता सोचा करते थे कि बेटी को पढ़ाए की नहीं पढ़ाए।
इंडियन मास्टरमाइंड के अनुसार प्रीती बचपन से ही पढाई में बहुत अच्छी थी।
प्रीती के परिवार वाले चाहते थे कि वह पढाई छोड़ दे और शादी कर ले। और इस सब का कारण घर का ख़राब स्थिति, गरीबी।
इन सब बातों के वावजूद भी प्रीती पढाई जारी रखी और दिल्ली के लक्ष्मी बाई कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
इस कॉलेज से प्रीती ने हिंदी में ग्रेजुएशन की। इसके बाद प्रीती पीएचडी करने के लिए JNU चली गई। यहाँ भी उन्होंने हिंदी विषय को ही चुना।