अख़बार बेचने वाला कैसे बना आईएएस ऑफिसर ।

मध्यप्रदेश के रहने वाले निरीश राजपूत ( Nirish Rajput) आज के समय में इनको किसी भी पहचान की जरूरत नही हैं ।

एक समय ऐसा भी था जब आर्थिक हालत से लड़ने के लिए अखबार भी बेचना पड़ा था । इसके साथ - साथ अपने एक खास दोस्त की धोखा को भी सहन करना पड़ा था ।

उस धोखे ने ही निरीश को यूपीएससी एक्जाम देने के लिए पूरी तरह से तैयार किया ।

आईएएस निरीश राजपूत ने अपने जिंदगी मे गरीबी को काफी करीब से देखा हैं । आपको बता दे कि निरीश के पिता पेशे से एक दर्जी थे और निरीश के पास अपनी फ़ी भरने तक के भी पैसे नहीं थे ।

और इसी कारण के चलते निरीश को अखबार बेचना पड़ता था जिससे ओ अपनी फ़ी भर सके । निरीश ने बी.एससी  (B.sc) और एमएसी (M.sc) दोनों में टॉप किया था ।

निरीश राजपूत अपने घर के आर्थिक हलतों से जंग लड़ ही रहे थे, कि उनके एक खास दोस्त ने धोखा देकर इनकी मुश्किले और बढ़ा दिया था ।

बात ये हैं कि निरीश के दोस्त ने यूपीएससी कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला था । निरीश उसमे छत्रों को पढ़ाते थे । लेकिन जब निरीश के लागतर दो सालों के मेहनत के बाद जब संस्थान अच्छी तरह से चलने लगा ।

तब निरीश के दोस्त ने निरीश को ही संस्थान से बाहर का रास्ता देखा दिया  यानि को संस्थान से बाहर निकाल दिया ।

जब निरीश को अपने इतने करीबी दोस्त से धोखा मिला तो वे सबकुछ छोड़कर दिल्ली चले गए । दिल्ली जा कर यूपीएससी परीक्षा के तैयारी मे जी जान से जुट गए ।

दिल्ली मे बने नए दोस्त ने यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) के तैयारी के लिए नोट्स उधार दे दिया । दिल्ली जाने के बाद भी निरीश के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि कोई कोचिंग जॉइन कर सके ।

हालांकि अपने सेल्फ स्टडि के दम पर ही निरीश ने 370वीं रैंक हासिल की । और आईएएस ऑफिसर बन गए ।