चाणक्य नीति: गरीब नहीं रहना चाहते तो माने आचार्य चाणक्य के ये बात।

आचार्य चणक्या कहते हैं कि यदि धन कमाने के लिए कोई गलत तरीकों का इस्तेमाल करता हैं, 

जल्दी से जल्दी अमीर बनने की इच्छा रखता हैं तो वह उसे और ज्यादा गरीब बना देती हैं। 

आचार्य कहते हैं कि गलत तरीके कमाकर व्यक्ति जितना जल्दी आमिर बनता हैं, 

उतना ही जल्दी उसका धन ख़त्म हो जाता हैं और वह फिर से गरीब हो जाता हैं।

आचार्य चाणक्य एक श्लोक बोलते हैं :  असत्समृद्धिरसद्भिरेव भुज्यते। निम्बफलं काकैर्भुज्यते।

असत्समृद्धिरसद्भिरेव भुज्यते। इसका अर्थ हैं दुष्ट लोग जो धन एकत्रित करते हैं वह गलत कामों के द्वारा ही एकत्रित करते हैं।

उनके साथ रहने वाले लोग भी बहुत बुरे होते हैं, दुष्प्रवृति के होते हैं। 

 गतल तरीके से कमाया हुआ धन कभी भी शुभ कामों में नहीं लग पाता हैं। 

 निम्बफलं काकैर्भुज्यते। इस श्लोक का मतलब हैं गलत कामों से कमाया हुआ धन निम् के लड्डू की तरह होता हैं। ऐसे फल को कौआ ही खा सकता हैं। 

जिस धन से खुद का नुकसान हो उसे कमाने से कोई लाभ नहीं होता हैं। 

गलत तरीके से कमाया हुआ धन गलत हाथों में पड़ता हैं और इससे अपना ही सर्वनाश हो जाता हैं। 

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