आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक माध्यम से इंसानों के लिए चार ऐसी चीजें बताई हैं जिसे ओ चाहकर भी नहीं बदल सकता। तो चलिए उस श्लोक को पढ़ते हैं।
आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च । पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ।। जन्म और मृत्यु
आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से यह कह रहे हैं कि किसी व्यक्ति को कितना भी जीवन मिला हो?
ओ अल्पायु होगा या दीर्घायु, इसका फैसला व्यक्ति जन्म से पहले ही हो जाता हैं। व्यक्ति इस मृत्युलोक में अपने कर्म के बल पर ही जीवन यापन करता हैं।
जिसका जन्म हुआ हैं उसका मृत्यु सुनिश्चित समय पर ही होता हैं। और ये उसके जन्म से पहले ही तय हो जाता हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार धरती पर जन्म लेने के बाद मनुष्य को अपने कर्मों के हिसाब से सुख - दुःख मिलता हैं।
आचार्य चाणक्य आगे कहते हैं कि मनुष्य को प्राप्त होने वाला विद्या और धन दौलत उसके जन्म से पहले ही निर्धारित कर दिया जाता हैं।
व्यक्ति को ये दोनों चीजें मिलेंगी या नहीं उसके पिछले जन्म के कर्म ही तय करते हैं।