आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के एक श्लोक में बताए हैं कि कुछ ऐसे स्थान जहाँ पर भूलकर भी रात नहीं बितानी चाहिए।

 श्लोक

धनिक: श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पंचम:। पंच यत्र न विद्यन्ते तत्र दिवसं न वसे ||

आचार्य चाणक्य इस श्लोक में कह रहे हैं कि "जहाँ कोई धनी, विद्वान, चिकित्स्क और नदी नहीं बहती हो ऐसे स्थान पर एक क्षण भी नहीं रुकना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के कहने का मतलब हैं जहाँ हर समय धन की कमी हो, वैसे स्थान पर समस्याए बहुत होती हैं। 

जिस स्थान पर विद्वान् नहीं निवास करते हैं, वहां अशिक्षा का राज होता हैं।

जिस राज्य या स्थान का कोई अच्छा राजा या मुखिया न हो तो वैसे स्थान पर अनैतिकता और भ्रष्टाचार अपने चरम पर होती हैं। 

जहाँ कोई वैद्य (डॉक्टर) नहीं होते हैं वहां बिमारियों का खतरा हर समय लगा रहता हैं।

और आगे कहते हैं जिस स्थान पर जल का अभाव हो, जहाँ कोई नदी नहीं बहती हो,

तो ऐसे स्थानों से दूर रहना ही व्यक्ति के जीवन के लिए अच्छा होता हैं।  

चाणक्य नीति: ये छोटी से गलती आपके सफ़लता में बन सकती हैं बड़ी बाधा।