व्यक्ति की गलतियां एक पेड़ के सामन होता हैं, जो उसे कर्म के आधार पर दरिद्रता, दुःख, रोग, बंधन और विपत्तियों के फलस्वरूप सजा देती हैं।
ये सजा रूपी फल मनुष्य के अपराध के अनुसार उसके जीवन में प्राप्त होते हैं।
नैतिक तरीके से कमाए गए धन का एक हिस्सा दान और सत्कर्मों में जरूर लगाना चाहिए।
जो धनवान होने पर भी कंजूसी करते हैं तो ऐसी लोगों के पास लक्ष्मी कभी भी नहीं ठहरती। और पैसा पानी की तरह खर्च हो जाता हैं।
सारी की सारी कमाई देखते ही देखते नष्ट हो जाती हैं। किसी को दुःख या धोखा देकर कमाया पैसा कभी भी फलता नहीं हैं।
इससे न सिर्फ धन का हानि होता हैं बल्कि गरीबी, दरिद्रता, रोग और जीवन में कई तरह के विपत्तियों का सामना करना पड़ेगा।