आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य के कर्म ही उसके अच्छे - बुरे का परिणाम देते हैं।

व्यक्ति की गलतियां एक पेड़ के सामन होता हैं, जो उसे कर्म के आधार पर दरिद्रता, दुःख, रोग, बंधन और विपत्तियों के फलस्वरूप सजा देती हैं।

ये सजा रूपी फल मनुष्य के अपराध के अनुसार उसके जीवन में प्राप्त होते हैं। 

भगवान सभी को एक ही मिट्टी से बनाता हैं बस फर्क इतना ही हैं कि कोई बाहर से खूबसूरत हैं तो कोई भीतर से।

जो व्यक्ति जैसा बोता हैं वैसा ही पाता हैं धन का संचय करने वालों पर लक्ष्मी सदा मेहरबान रहती हैं। 

लेकिन जो लोग धन होने पर उसकी कद्र नहीं करते हैं, ऐसे लोगों से माँ लक्ष्मी रूठ जाती हैं, और घर में दरिद्रता छा जाती हैं।

 नैतिक तरीके से कमाए गए धन का एक हिस्सा दान और सत्कर्मों में जरूर लगाना चाहिए। 

जो धनवान होने पर भी कंजूसी करते हैं तो ऐसी लोगों के पास लक्ष्मी कभी भी नहीं ठहरती। और पैसा पानी की तरह खर्च हो जाता हैं।

सारी की सारी कमाई देखते ही देखते नष्ट हो जाती हैं। किसी को दुःख या धोखा देकर कमाया पैसा कभी भी फलता नहीं हैं।

ऐसे लोगों के सारी पूँजी का नास हो जाता हैं। व्यक्ति कंगाली के राह पर आ जाता हैं।

धन आने पर कभी भी आप इस तरह की गलतियां न करे, 

 इससे न सिर्फ धन का हानि होता हैं बल्कि गरीबी, दरिद्रता, रोग और जीवन में कई तरह के विपत्तियों का सामना करना पड़ेगा।  

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