चाणक्य निति: ऐसे करे सच्चे पत्नी, मित्र, पिता और सच्चे पुत्र की पहचान

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आचार्य चाणक्य के नीतियां हमारे सफलता के मार्ग को और सरल बनाते हैं। 

जीवन में आने वाले तमाम मुसीबतों का सामना करने के लिए आचार्य ने कई नीतियां बताई हैं। 

आचार्य चाणक्य अपने एक श्लोक में कहते हैं कि,ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः स पिता यस्तु पृष्ठभूमिः । तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या यत्र निर्वृतिः ।।

आचार्य चाणक्य इस श्लोक में कहा रहे हैं कि पुत्र उसी को कहा जाता हैं जो पिता के भक्त होते हैं। 

पिता भी वही जो पुत्र का पालन पोषण करते हैं। इसी प्रकार मित्र भी वही हैं जिस पर विश्वास किया जा सके। 

 और पत्नी भी वही है जिससे सुख, शांति की प्राप्ति होती हैं।

आचार्य आगे कहते हैं कि वही गृहस्थ जीवन सुखी हैं, जिनके संतान उनके वश में हैं। 

और उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। 

अगर संतान पिता के आज्ञा का पालन नहीं करता हैं तो घर में दुःख और क्लेश छा जाता हैं।

इसीलिए हर पुत्र का कर्तव्य हैं कि वह अपने पिता के आज्ञा की पालन करे। 

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