इतना ही नहीं जीतेन्द्र शिक्षा माफिया भी हैं।
वह एक निजी कॉलेज का डायरेक्टर भी हैं और वह कॉलेज पटना में ही हैं। कॉलेज बिहार फॉर्मेसी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
विभाग में जीतेन्द्र सिंह का गजब का दबदबा था , इसी लिए लोग इसे साहेब कहकर बुलाते थे।
पटना (एरिया 5) में तैनात ड्रग इंस्पेक्टर जीतेन्द्र ने इतना कमाया हैं , कि इसका अंदाज विजिलेंस ब्यूरो को भी नहीं था।
नोट गिनने के लिए दो मशीन मंगवाई गई, लेकिन नमी न रहने से जकड़े हुए नोटों को गिनते - गिनाते दोनों मशीनें ठप पड़ गई।
नोट गिनने के लिए दो मशीन मंगवाई गई, लेकिन नमी न रहने से जकड़े हुए नोटों को गिनते - गिनाते दोनों मशीनें ठप पड़ गई।
नोटों को 3 - 4 चैन वाले बैग में ठूस - ठूस कर रखा गया था। फिर गिनती शुरू हुई और देर रात 12 बजे तक गिनती चलती रही। कुल 12 घंटे के गिनती में करीब 4 करोड़ 11 लाख रूपए मिले हैं।