
माता कुष्मांडा की पूजा नवरात्री के चौथे दिन किया जाता हैं। आज हम माता कुष्मांडा से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रश्नो का उत्तर देने वाले हैं।
कुष्मांडा का अर्थ क्या होता हैं?
कई लोग जानना चाहते थे कि माता के इस नाम का क्या अर्थ होता हैं तो चलिए जान लेते हैं। कुष्मांडा का अर्थ होता हैं कुम्हड़े। माता कुष्मांडा को बलि के रूप में कुम्हड़े को भेट किया जाता हैं। कुम्हड़े एक फल का नाम हैं। माता को इस फल का बलि अति प्रिय हैं। माता कुष्मांडा के आठ हाथ हैं जिनके एक हाथ में कमंडल, दूसरे हाथ में धनुष, तीसरे हाथ में बाण, चौथे हाथ में कमल का पुष्प, पाँचवे हाथ में शंख, छठे हाथ में चक्र, सातवें हाथ में गद्दा और आठवें हाथ में सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला।
कुष्मांडा माता का दूसरा नाम क्या हैं?
माता कुष्मांडा को आदिशक्ति और अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता हैं। माता के पास आठ हाथ हैं इसीलिए इन्हें अष्टभुजा कहा जाता हैं।
कुष्मांडा माता को क्या चढ़ाना चाहिए?
माता कुष्मांडा को कुम्हड़े अति प्रिय हैं। यह एक प्रकार का फल हैं। इस फल से माता का भोग लगा सकते हैं। इसी फल माता को बलि के रूप में भेट किया जाता हैं। आपके जानकरी के लिए बता दे कि कुष्मांडा का अर्थ भी कुम्हड़े ही होता हैं।
कुष्मांडा माता को कौन सा रंग (कलर) पसंद हैं?
नवरात्री के चौथे दी पूजा किए जाने वाली माता कुष्मांडा को नारंगी रंग अति प्रिय हैं। इस दिन माता का पूजन रंग का वस्त्र पहनकर ही करना उचित होता हैं। ऐसा करने से माता उस भक्त पर प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।
कई भक्त ऐसे भी होते हैं जिनके पास दो तीन ही वस्त्र होते हैं, किसी भक्त के पास तो एक ही वस्त्र होते हैं तो वह किस प्रकार नवो माता को प्रसन्न करने के लिए उनके पसंदीदा रंग के अनुसार वस्त्र धारण करे- तो ऐसा नहीं की मात आप से रूढ़ जाएँगी बल्कि माता आप से और अधिक ही प्रश्न हो जाएँगी। तो आपको अब इस संकोच में नहीं रहना हैं। बस आप केवल आप माता के पूजन पर ध्यान दीजिए।
कुष्मांडा माता को किस चीज का प्रतिक माना जाता हैं?
बहुत सारे भक्तगण यह जानना चाहते हैं कि माता कुष्मांडा किस का प्रतिक हैं तो चलिए आज जान लेते हैं – माता कुष्मांडा को प्रकाश, अच्छे स्वास्थ्य और प्रचुर धन का प्रतिक माना जाता हैं। माता प्रत्येक जीवधारी को स्वस्थ और दिव्य बनाती हैं।
