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चाणक्य नीति : शत्रु हो या रोग उनका समूल नाश करना ही बुद्धिमता हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कड़वी सच्चाई बोल देने वाले लोग झूठा दिलासा देने वाले लोगों से लाख गुना ज्यादा अच्छा होते हैं।
आप तब तक कमजोर हैं, जब तक अपनी क्षमताओं को लेकर अपरिचित हैं।
अहंकार और सँस्कार : अहंकार दूसरे को झुकाकर खुश होता हैं जबकि सँस्कार खुद को झुकाकर खुश होता हैं।
शत्रु हो या रोग उनका समूल नाश करना ही बुद्धिमता हैं।
मात्र सोचने से ही कार्य पूरा नहीं होता उसके लिए मेहनत करना उससे भी अधिक आवश्यक होता हैं।
एक बार फैसला ले लिया तो उस पर कोई चर्चा नहीं क्योंकि बार – बार चर्चा करने से आत्मविश्वास ख़त्म हो जाता हैं।
जो सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने के कीमत चुकाने के लिए तैयार रहते हैं वही लोग सफल होते हैं।
असफलता के स्वाद चखे बिना आप पूर्ण सफलता को प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
सफल होने के लिए व्यवहार में बच्चा, काम में जवान और अनुभव में वृद्ध होना जरुरी हैं।
धैर्य और स्वाभाव में सरलता ही इंसान की सबसे बड़ी जीत होती हैं।
कभी – कभी जितने के लिए हार का संकट उठाना जरुरी होता हैं।
इंसान सफल तब होता हैं जब पूरी दुनिया को नहीं खुद को बदलना शुरू कर देता हैं।
सफलता का एक मुलभुत नियम हैं कि आप अपनी गलतियों के साथ – साथ दूसरों के गलतियों से भी सीखे।
कुछ करने के इच्छा रखने के वाले व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं हैं।