चाणक्य नीति: इस तरह के व्यक्ति से हार जाना ही बेहतर हैं।
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इस तरह के व्यक्ति से हार जाना ही बेहतर हैं।

इस तरह के व्यक्ति से हार जाना ही बेहतर हैं।
इस तरह के व्यक्ति से हार जाना ही बेहतर हैं।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जैसे ही भय आपके नजदीक आए, उस पर आक्रमण कर उसको उसी वक्त नष्ट कर देना चाहिए।

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अधिक लार – प्यार से बच्चे गलत आदतों का शिकार बन जाते हैं, उन्हें कड़ी शिक्षा देने से वे अच्छे आदतें सीखते हैं। इसीलिए बच्चों जरुरत पड़ने पर दण्डित करे। आचार्य चाणक्य आगे कहते हैं हराना तब आवश्यक हो जाता हैं जब लड़ाई अपनों से हो और जितना तब आवश्यक हो जाता हैं जब लड़ाई अपने आप से हो।

किसी मुर्ख व्यक्ति के लिए किताबे उतनी ही उपयोगी हैं जितना की एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना।

जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को आग लगा दी जाए तो वह पूरा जंगल जला देता हैं ठीक उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्बाद कर।

सोच अच्छी होनी चाहिए क्योंकि नजर का इलाज तो संभव हैं पर नजरिए का नहीं।

सबसे बड़ा गुरु मंत्र हैं कि अपनी राज की बात कभी भी दुसरो से न बताए, यह आपको बर्बाद कर देगा।

कामयाब होने के लिए अच्छे दोस्तों की जरूरत होती हैं और ज्यादा कामयाब होने के लिए दुश्मनों की जरूरत होती हैं।

फूलों की खुशबू केवल वायु के दिशा में ही फैलती हैं लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फ़ैलती हैं।

जिसका ज्ञान बस किताबों सिमित हैं और जिसका धन दूसरों के कब्ज़े में हैं ओ जरूरत पड़ने पर न अपना ज्ञान प्रयोग कर सकता हैं और न धन।

अधिक सीधा – साधा होना भी अच्छा नहीं हैं क्योंकि सीधे वृक्ष पहले काट दिए जाते हैं और ड़ेढे वृक्ष बच जाते हैं।

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